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Showing posts from November, 2020

Bhagwan kartik temple in Gwalior

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*साल में एक दिन खुलता है ये 450 साल पुराना कार्तिकेय मंदिर * जीवाजीगंज मार्ग हनुमान चौराहे के पास स्थित भगवान कार्तिकेय के मंदिर के पट रविवार 29 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा के दिन रात्रि 12 बजे खोले जायेगे। सबसे पहले भगवान कार्तिकेय को स्नान कराकर उनका श्रृंगार व आरती की जाएगी। कोविड के चलते इस बार भगवान कार्तिक के दर्शन  30 नवम्बर  सोमवार सुबह 6:00 बजे से रात्रि 10 बजे तक, श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जाएंगे। श्रद्धालु इस दिन भगवान कार्तिकेय पर प्रशाद चढ़ाकर अपनी मन्नत मांगते है। कहा जाता है कि जो इस दिन अपनी मन्नत मांगता है वह पूरी होती है। मन्नत पूरी होने पर अगले वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर पुनः दर्शन करने आते है।  यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे तक खुले रहेंगे। सोमवार की रात्रि व मंगलवार सुबह 4:00 बजे पुजारी पूजा अर्चना कर कार्तिकेय भगवान की प्रतिमा को कपड़े के खोल से ढंककर दरवाजे पर ताला लगा देंगे। इसके बाद यह दरवाजा अगले वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर ही खुलेगा। जीवाजीगंज स्थित भगवान कार्तिकेय के मंदिर में ही गंगा यमुना सरस्वती एवम वेणीमाधव भगवान का भी मंदिर है, जो भक्...

chandra grahan 30 november 2020, rashi prabhav

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*30 नवंबर उपच्छाया चंद्रग्रहण के राशियों पर  प्रभाव *  30 नवंबर को चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उसकी उपच्छाया पड़ेगी। चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आएगी। जिससे चंद्रमा की छवि धूमिल दिखाई देगी। कोई भी चन्द्रग्रहण जब भी आरंभ होता है तो ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करता है, जिससे उसकी छवि कुछ मंद पड़ जाती है तथा चंद्रमा का प्रभाव मलीन पड़ जाता है।जो उपच्छाया ग्रहण कहलाता है। 30 नवंबर को चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक कक्षा में प्रवेश नहीं करेंगे अतः इसे ग्रहण नहीं कहा जाएगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि चंद्र ग्रहण के समय जातकों पर इसका प्रभाव मन पर पड़ता है। क्योकि चंद्रमा मन का कारक है। चंद्र ग्रहण का असर ग्रहण से 5 दिन पूर्व से प्रारंभ हो जाता है, और 5 दिन बाद तक रहता है। इन 10 दिनों में सभी राशियों पर शुभ व अशुभ प्रभाव देखने को मिलेंगे।  लेकिन इन चार राशियों वृषभ, मिथुन कन्या, व धनु पर सबसे अधिक प्रभाव रहेगा।  साल का आखिरी चंद्रग्रहण वृषभ राशि में लगेगा। जिस वजह से इस राशि के जातकों पर सबसे ज्यादा प्रभाव होगा। मेष- चंद्र ...

kartik purnima vrat 29 november 2020

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*कार्तिक मास का पूर्णिमा व्रत 29 को,स्नान दान 30 नवंबर को मनाया जाएगा * कार्तिक मास का पूर्णिमा व्रत 29 नवम्बर को व स्नान दान 30 नवम्बर सोमवार सर्वार्थसिद्धि योग में होगा। क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा  29 नवंबर दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से प्रारम्भ होकर 30 नवंबर दोपहर 02 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। पूर्ण चंद्रमा 29 नवम्बर को रात्रि में होने के कारण पूर्णिमा का व्रत 29 को व 30 नवंबर को सुबह दान-स्नान किया जाएगा। कार्तिक मास को बारह मासों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ, श्री कार्तिकेय की भी पूजा का विधान है।  मान्यता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से सारे पापो का नाश होता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा (शास्त्री) ने बताया कि  इस समय कोरोना काल के चलते गंगा में डुबकी लगाना व अधिक लोगो का एकत्रित होना खतरनाक हो सकता है, इसलिए घर मे ही रहकर बाल्टी में गंगाजल डाल कर स्नान करने से पूर्ण फल प्राप्त होगा । आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को होगा, यह एक उपच्छाया ग्रहण के रूप में दिखाई देगा जो कि रोहिणी नक्षत्र में लगेगा, जिसका कोई असर नही होगा और ...

akshay amla navmi 23 november 2020

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*संतान की प्राप्ति व मंगलकामना के लिए अक्षय आमला नवमी 23 को* 23 नवम्बर सोमवार , कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का त्योहार मनाया जाएगा।  नवमी तिथि 22 नवंबर रविवार रात्रि 10:52 बजे से प्रारंभ होकर 23 नवंबर सोमवार रात्रि 12:33 बजे तक रहेगी। पूजा मुहूर्त सुबह 06:45 बजे  से 11:54 बजे तक रहेगा जिसका कुल समय 5 घंटे 8 मिनट है।  आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है।  अक्षय आमला नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा आदि किए जाते हैं, इससे अक्षय फल प्राप्त होता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा (शास्त्री) ने बताया कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने का विधान होता है। मान्यता है आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने से रोगों का नाश होता है। और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।. आंवले के वृक्ष के नीचे विद्वान ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।तथा दक्षिणा भेंट कर खुद भी उसी वृक्ष के निकट बैठकर भोजन किया जाता है।  इस दिन महिलाएं अक्षत, पुष्प, चंदन आदि से पूजा-अर्चना कर, आंवले ...

Gopashtmi 22 November ko manai jayegi

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*गोपाष्टमी महोत्सव 22 नवम्बर को मनाई जाएगी * गोपाष्टमी पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रविवार 22 नवम्बर को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 22 नवंबर को सुबह 07:04 बजे से प्रारम्भ होकर 23 नवंबर सुबह 09:40 बजे तक रहेगी। इस दिन गौ माता की पूजा की जाती हैं एवम उपवास किया जाता है। कहते हैं इस दिन तक श्री कृष्ण एवं बलराम ने गाय पालन की सभी शिक्षा ले कर, एक अच्छे ग्वाला बन गए थे। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि जिनके घरों में गाय नहीं होती है वे लोग गौ शाला जाकर गाय की पूजा करते है, उन्हें गंगा जल, फूल चढाते है,तथा घास व  गुड़ खिलाते है। इस दिन महिलाएं श्री कृष्ण जी की पूजा करती है, उपवास रखती है, तथा गाय को तिलक लगा कर उनकी पूजा करती है। इस दिन भजन किये जाते है। हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष स्थान हैं। माँ का दर्जा दिया जाता हैं क्यूंकि जैसे एक माँ का ह्रदय कोमल होता हैं, वैसा ही गाय माता का होता हैं. जैसे एक माँ अपने बच्चो को हर स्थिती में सुख देती हैं, वैसे ही गाय भी मनुष्य  को लाभ प्रदान करती हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके गाय के चरण स्पर्श किये ज...

Jupiter transit in makar rashi on 20 november 2020

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*सर्वार्थसिद्धि योग में गुरु ग्रह का 20 नवम्बर को शनि की राशि मकर में प्रवेश *  20 नवंबर कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की षष्टी तिथि शुक्रवार को गुरु ग्रह अपनी नीच राशि मकर मे गोचर करेंगे।   गुरु ग्रह को देवताओं का गुरु, सुख-सुविधाओं, धन और संपत्ति का कारक माना जाता है। देव गुरु बृहस्पति धनु से मकर राशि में ही प्रवेश कर रहे हैं और मकर में उनका स्थान नीच का होता है, लेकिन शनि के अपनी राशि मे होने के कारण नीच भंग राजयोग बनेगा। इस राशि में ये 5 अप्रैल 2021 तक स्थित रहेंगे। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि गुरु के मकर राशि में आने से वृश्चिक राशि वालों को अच्छे परिणाम मिलने की संभावना है। नौकरीपेशा और व्यापारी वर्ग को आर्थिक फायदा होगा। यह गोचर आपके आर्थिक पक्ष को मजबूत करेगा। आय के साधनों में वृद्धि होगी  गुरु ग्रह के राशि परिवर्तन से कुछ राशियों पर सकारात्मक तो कुछ राशियों को नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। इस राशि परिवर्तन से मेष, मिथुन, कन्या, तुला,वृश्चिक, कुंभ और मकर राशि के जातकों को शुभ परिवर्तन प्राप्त हो सकते हैं। मेष राशि:- आने वाला समय आपकी परे...

chhath puja 18 november to 21 november

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*छठ पूजा सर्वार्थसिद्धि व रवि योग में होगी* छठ पर्व जो कि चार दिन का होता है, इसमें सूर्य देव की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी माता को सूर्य देवता की बहन माना जाता हैं। कहा जाता है कि छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं जिससे परिवार में सुख शांति तथा संतान के सुखी जीवन के लिए की जाती है।  छठ पर्व कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि 20 नवम्बर शुक्रवार को सर्वार्थसिद्धि योग में मनाया जाएगा।   षष्ठी तिथि 19 नवंबर गुरुवार को रात 9:58 से प्रारम्भ होगी और 20 नवंबर को रात 9:29 बजे तक रहेगी। इसके अगले दिन सूर्य को सुबह अर्घ्य देने का समय छह बजकर 48 मिनट है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि छठ पूजा चार दिन का पर्व होता है।   यह दीवाली के छठे दिन होने के कारण इसे छठ पर्व कहा जाता है। जो कि 18 नवम्बर बुधवार रवि योग में प्रारम्भ होगा तथा 21 नवम्बर शनिवार को समाप्त होगा। * नहाय खाय पहला दिन* छठ पर्व का पहला दिन कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 18 नवम्बर बुधवार को होगा। इस दिन नहाय खाय होता है।  व्रत र...

bhai dooj 16 november ko manai jayegi

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*सर्वार्थसिद्धि योग में मनाया जायेगा भाईदूज पर्व*  भाई दूज पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है|  इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है| भाई दूज 16 नवंबर, सोमवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार को भाई-बहन के पवित्र बंधन के लिए जाना जाता है। द्वितीया तिथि 16 नवंबर सोमवार सुबह 07:07 बजे से प्रारंभ होकर 17 नवंबर  सुबह 3 बजकर 57 बजे तक रहेगी। भाई दूज पर तिलक का समय दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। समय अवधि – 2 घंटा 8 मिनट भाई दूज का पर्व भाई बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला एक ऐसा उत्सव है, जो भाई के प्रति बहन के अगाध प्रेम और स्नेह को अभिव्यक्त करता है|  ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग होने के कारण भाई दूज पर्व पर किये कार्य सिद्ध होंगे व मनोकामना पूरी होगी ।  इस दिन बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र व खुशहाली के लिए कामना करती हैं| भाई दूज का त्योहार प्राचीन काल से मनाया जा रहा है ऐसी मान्यता है कि जो बहन भाई दूज के दिन अपने भाई को श्रद्धा से कुमकु...

Govardhan puja

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*गोवर्धन पूजा करके भगवान कृष्ण ने इंद्र का अहंकार तोड़ा * दीपावली के अगले दिन यानि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है| लोग इस पर्व को अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं| प्रतिपदा तिथि रविवार को 10:37 बजे से प्रारंभ होकर 16 नवम्बर सोमवार शाम 5:16 बजे तक रहेगी। पूजा मुहूर्त शाम 3:19 बजे से शाम 5:28 बजे तक रहेगा।  ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि हिंदू धर्म के मानने वाले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन जी की मूर्ति बनाकर उनका पूजन करते हैं|  इसके बाद ब्रज के साक्षात देवता माने जाने वाले भगवान गिरिराज को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाते हैं|  गाय- बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल माला, धूप, चन्दन आदि से उनका पूजन किया जाता है| गायों को मिठाई का भोग लगाकर उनकी आरती उतारी जाती है तथा प्रदक्षिणा की जाती है। अन्न से बने कच्चे-पक्के भोग, फल-फूल, अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ जिन्हें छप्पन भोग कहते हैं का भोग लगाया जाता है|  फिर सभी सामग्री अपने परिवार व मित्रों को वितरण कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है| भगवान...

deepawali puja kaise kare

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*14 को मनाया जाएगा दियो का पर्व दीवाली * दीवाली का पावन पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है जो कि शनिवार 14 नवम्बर को मनाया जाएगा। अमावस तिथि का प्रारम्भ  14 नवंबर  को दोपहर 02:17 बजे से होगा। और अमावस्या तिथि की 15 नवंबर सुबह 10:36 बजे समाप्त होगी। लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 17:28 से 19:24 प्रदोष काल- 17:28 से 20:07 बजे तक रहेगा । दिवाली पर मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पधारती हैं और आपके घर को धन-धान्य से भर देती हैं। इस दिन विधिवत् मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि दीवाली का पर्व पांच दिन मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष यह चार दिन का ही रहेगा।जिसका प्रारम्भ कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रियोदशी तिथि धनतेरस 13 नवम्बर से होगा। दूसरा दिन 14 नवंबर को छोटी व बड़ी दीवाली तथा रूप चौदस एक ही दिन मनाई जाएगी। 15 नवंबर  तीसरे दिन गोवर्धन पूजा यानी अन्नकूट का है। जिसका पूजा मुहूर्त शाम 3:19 से शाम 5:27 बजे तक रहेगा। चौथे दिन 16 नवंबर को भाईदूज का त्योहार मनाया जाएगा। *दीपावली पूजन विधि * एक ...

dhanteras par rashi anusar kya kharide

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* धनतेरस पर धन की वृद्धि के लिए राशि अनुसार क्या खरीदे * दीपावली 5 दिनों का पर्व होता है। जो कि धनतेरस के दिन से शुरु होता है। इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 12 नवंबर दिन गुरुवार की रात 09 बजकर 30 मिनट पर होगा, जो 13 नवंबर दिन शुक्रवार को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। ऐसे में धनतेरस 13 नवंबर को है.   इस बार धनतेरस की पूजा के लिए 30 मिनट का शुभ मुहूर्त है. आपको धनतेरस की पूजा शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम को 05 बजकर 59 मिनट के मध्य कर लेनी चाहिए धनतेरस को शुभ मुहूर्त में आपको देवताओं के वैद्य या आरोग्य के देवता धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर की पूजा करनी चाहिए. धन्वंतरि को भगवान विष्णु का रुप माना जाता है. यह अपने हाथों में अमृत कलश धारण किए होते हैं, इनको पीतल के धातु प्रिय हैं, इसलिए धनतेरस को लोग पीतल के बर्तन आदि खरीदते हैं दिवाली से दो तिथि पहले यम के लिए दीपक जलाया जाता है. धनतेरस के दिन संध्या के समय में घर के बाहर एक दीपक जलाएं. यह दीपक यमराज के लिए जलाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यम का दीपक जलाने से यमराज खुश होते हैं और परिवार के स...