Govardhan puja

*गोवर्धन पूजा करके भगवान कृष्ण ने इंद्र का अहंकार तोड़ा*
दीपावली के अगले दिन यानि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है| लोग इस पर्व को अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं|
प्रतिपदा तिथि रविवार को 10:37 बजे से प्रारंभ होकर 16 नवम्बर सोमवार शाम 5:16 बजे तक रहेगी। पूजा मुहूर्त शाम 3:19 बजे से शाम 5:28 बजे तक रहेगा।
 ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि हिंदू धर्म के मानने वाले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन जी की मूर्ति बनाकर उनका पूजन करते हैं|  इसके बाद ब्रज के साक्षात देवता माने जाने वाले भगवान गिरिराज को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाते हैं| 
गाय- बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल माला, धूप, चन्दन आदि से उनका पूजन किया जाता है| गायों को मिठाई का भोग लगाकर उनकी आरती उतारी जाती है तथा प्रदक्षिणा की जाती है। अन्न से बने कच्चे-पक्के भोग, फल-फूल, अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ जिन्हें छप्पन भोग कहते हैं का भोग लगाया जाता है|  फिर सभी सामग्री अपने परिवार व मित्रों को वितरण कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है|
भगवान कृष्ण का इंद्र के अहंकार को तोड़ने के पीछे उद्देश्य ब्रज वासियों को गौ धन एवं पर्यावरण के महत्त्व को बतलाना था| ताकि वे उनकी रक्षा करें| आज भी हमारे जीवन में गौ माता का विशेष महत्त्व है| आज भी गौ द्वारा प्राप्त दूध हमारे जीवन में बेहद अहम स्थान रखता है|
हमारे गौ-धन का संवर्धन एवं संरक्षण के लिए गोवर्धन पूजा की जाने लगी।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
Gwalior

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