Gopashtmi 22 November ko manai jayegi

*गोपाष्टमी महोत्सव 22 नवम्बर को मनाई जाएगी*
गोपाष्टमी पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रविवार 22 नवम्बर को मनाई जाएगी।
अष्टमी तिथि 22 नवंबर को सुबह 07:04 बजे से प्रारम्भ होकर 23 नवंबर सुबह 09:40 बजे तक रहेगी।
इस दिन गौ माता की पूजा की जाती हैं एवम उपवास किया जाता है। कहते हैं इस दिन तक श्री कृष्ण एवं बलराम ने गाय पालन की सभी शिक्षा ले कर, एक अच्छे ग्वाला बन गए थे। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि जिनके घरों में गाय नहीं होती है वे लोग गौ शाला जाकर गाय की पूजा करते है, उन्हें गंगा जल, फूल चढाते है,तथा घास व  गुड़ खिलाते है। इस दिन महिलाएं श्री कृष्ण जी की पूजा करती है, उपवास रखती है, तथा गाय को तिलक लगा कर उनकी पूजा करती है। इस दिन भजन किये जाते है।
हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष स्थान हैं। माँ का दर्जा दिया जाता हैं क्यूंकि जैसे एक माँ का ह्रदय कोमल होता हैं, वैसा ही गाय माता का होता हैं. जैसे एक माँ अपने बच्चो को हर स्थिती में सुख देती हैं, वैसे ही गाय भी मनुष्य  को लाभ प्रदान करती हैं।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके गाय के चरण स्पर्श किये जाते हैं। गोपाष्टमी की पूजा पुरे रीती रिवाज से पंडित के द्वारा कराई जाती है
गौ माता का हिन्दू संस्कृति में सबसे अधिक महत्व हैं। गाय के पूजन, उसकी रक्षा, पालन,पोषण को मनुष्य का कर्तव्य माना गया हैं। हम सभी को गौ माता की सेवा करना चाहिये, क्यूंकि वह भी हमें एक माँ  की तरह ही पालन करती हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि कई देवियां और देवता एक गाय के अंदर निवास करते हैं। गाय को आध्यात्मिक और दिव्य गुणों का स्वामी माना जाता है।
वृन्दावन, मथुरा, नाथद्वारा में कई दिनों पहले से इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। उस दिन गायों को नहला धुलाकर सजाया जाता है, उन्ह सुंदर वस्त्र पहनाए जाते है। नाथद्वारा में 100 से भी अधिक गाय और उनके ग्वाले मंदिर में जाकर पूजा करते है तथा भजन व गीत गाकर इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाते है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
Gwalior

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