bhai dooj 16 november ko manai jayegi
*सर्वार्थसिद्धि योग में मनाया जायेगा भाईदूज पर्व*
भाई दूज पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है| इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है| भाई दूज 16 नवंबर, सोमवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार को भाई-बहन के पवित्र बंधन के लिए जाना जाता है।
द्वितीया तिथि 16 नवंबर सोमवार सुबह 07:07 बजे से प्रारंभ होकर
17 नवंबर सुबह 3 बजकर 57 बजे तक रहेगी।
भाई दूज पर तिलक का समय दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
समय अवधि – 2 घंटा 8 मिनट
भाई दूज का पर्व भाई बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला एक ऐसा उत्सव है, जो भाई के प्रति बहन के अगाध प्रेम और स्नेह को अभिव्यक्त करता है|
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग होने के कारण भाई दूज पर्व पर किये कार्य सिद्ध होंगे व मनोकामना पूरी होगी।
इस दिन बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र व खुशहाली के लिए कामना करती हैं|
भाई दूज का त्योहार प्राचीन काल से मनाया जा रहा है ऐसी मान्यता है कि जो बहन भाई दूज के दिन अपने भाई को श्रद्धा से कुमकुम का तिलक करती है ।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार - कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमदेव को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था| जिससे उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और वे तृप्त हुए| पाप मुक्त होकर वे सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए
*भाई को तिलक करने की विधि*
भाई दूज वाले दिन आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं। इस चौक पर भाई को बिठाकर बहनें उनके हाथों की पूजा करती हैं। सबसे पहले बहन अपने भाई के हाथों पर चावलों का घोल लगाती है। उसके ऊपर सिंदूर लगाकर फूल, पान, सुपारी तथा मुद्रा रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हुए मंत्र बोलती है-
*गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें*
इसके उपरांत बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर कलावा बांधती है तथा भाई के मुंह मिठाई, मिश्री माखन लगाती हैं। वह उसकी लम्बी उम्र की प्रार्थना करती है। उसके उपरांत यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जला कर घर की दहलीज के बाहर रखती है जिससे उसके घर में किसी प्रकार की विघ्न-बाधा न आए और वह सुखमय जीवन व्यतीत करे।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
Gwalior
Comments
Post a Comment