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Showing posts from July, 2019

Rashi Plant किस राशि के लोग कोनसा पौधा लगाए

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किस राशि के लोग कोनसा पौधा लगाए हिन्दू शास्त्रो के अनुसार पेड़ो को देवता के रूप में पूजा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की राशि का एक प्रितिनिधि वृक्ष होता है। उसे लगाने से व उसकी पूजा करने से उस ग्रह के शुभ फल प्रदान होते है। प्रत्येक ग्रह के अपने अपने वृक्ष व पौधे होते है, जिन्हे अलग अलग राशि का स्वामित्व प्राप्त है। श्रवण मास सबसे उचित समय पौधरोपण के लिए माना गया है। इस मास में हरियाली अमावस व हरियाली तीज सबसे शुभ दिन माना गया है।श्रवण मास में राशि के अनुसार पौधे लगाने से भगवान शिव प्रसन्न होते है व उससे संबंधित ग्रहो का शुभ फल प्रदान होता है। यदि आपकी कुंडली मे ग्रह अशुभ फल दे रहे है तो उनसे संबंधित पौधे व वृक्ष को लगाकर उनकी पूजा करने से उनके अशुभ फलों के प्रभाव समाप्त हो जाते है। राशि के अनुसार वृक्ष मेष या वृश्चिक राशि इन राशियो का ग्रह मंगल है। अतः इस राशि वालों को अनार का पेड़ लगाना चाहिए। जिससे मंगल ग्रह के शुभ फल प्राप्त होते है। वृष या तुला इन राशियो का ग्रह शुक्र है। इन राशि वालो को नारियल का पेड़, मनी प्लांट लगाना चाहिए इसके अलावा आम और पपीते का पेड़ भी लगा सकते है। कर...

Nag panchmi Puja 25 साल बाद नाग पंचमी पर बनेगा संजीवनी महायोग

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25 साल बाद नाग पंचमी पर बनेगा संजीवनी महायोग 5अगस्त सोमवार श्रवण मास, शुक्लपक्ष की पंचमी पूर्णा तिथि, सोम का हस्त नक्षत्र और सिद्धि योग व श्रवण मास के तीसरे सोमवार को नाग पंचमी संजीवनी महायोग में मनाई जाएगी । यह योग इस वर्ष 25 वर्षो पश्चात बन रहा है। यह योग 16 अगस्त 1993 में बना था। अगला योग 21 अगस्त 2023 में बनेगा। पंचमी तिथि 4 अगस्त शाम 6:48 बजे से प्रारंभ होकर 5 अगस्त दोपहर 2:52 बजे तक रहेगी। नाग पूजन का समय 5 अगस्त को सुबह 6 बजे से 7:37 बजे तक एवं 9:15 से 10:53 बजे तक रहेगा। नागपंचमी एक ऐसा पर्व है जहाँ नाग शिव के गले का हार है। वही भगवान विष्णु की शैय्या है। इन्ही कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की  यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है जिससे माना जाता है कि भूगर्भ से नाग निकल कर भूतल पर आ जाते है। अतः वह किसी को नुकसान न पहुचाये इसलिए नागों की पूजा की जाती है। नागपंचमी पर पूजन कैसे करे नागपंचमी पर नाग मंदिर में या नाग देवता की प्रतिमा की पूजा की जाती है या तांबे की धातु से बने नाग की पूजा की जाती है जीवित नाग की पूजा...

Hariyali amawas 125 वर्षो बाद हरियाली अमावस पर बनेगा पंच महायोग

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125 वर्षो बाद हरियाली अमावस पर बनेगा पंच महायोग 1 अगस्त गुरुवार हरियाली अमावस पर पंच महायोग जिसमे सिद्धि योग, शुभ योग, गुरु पुष्यामृत योग, सर्वार्थसिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग का सयोंग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस दिन कर्क राशि मे शुक्र, चंद्र, सूर्य पुष्य नक्षत्र में तथा मंगल अश्लेषा नक्षत्र में विचरण कर चतुर्थ ग्राही योग बना रहे है । यह संयोग 125 वर्ष पूर्व सन 1894 में 1अगस्त बुधवार को सूर्य चंद्र पुष्य नक्षत्र में व बुध पुनर्वसु नक्षत्र कर्क राशि मे योग बना था। पांच महायोग के संयोग में शिव व शक्ति की पूजा का महत्व होता है। इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए बिल्व पत्र, केसर युक्त चंदन, पांच मेवा, धतूरे के फूल, पंचामृत आदि से अभिषेक करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। तथा सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है।       जिनकी कुंडली मे कालसर्प दोष, शनि की दशा व पित्र दोष हो उन्हें हरियाली अमावस के दिन शिवलिंग पर पंचामृत अवश्य चढ़ाना चाहिए। हरियाली अमावस्या प्रकृति का पर्व हरियाली अमावस्या प्रकृति का पर्व होने के कारण इस दिन पौधरोपण करने स...

20 जुलाई से 70 दिनों के लिए शुक्र तारा(अस्त) डूब जाएगा

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20 जुलाई से 70 दिनों के लिए शुक्र तारा(अस्त) डूब जाएगा 20 जुलाई शनिवार को शुक्र ग्रह मिथुन राशि मे 70 दिनों के लिए अस्त अर्थात डूब जाएगा। अस्त शुक्र 23 जुलाई को कर्क राशि मे, 16 अगस्त को सिंह राशि मे तथा 9 सितंबर को कन्या राशि मे अस्त अवस्था मे भ्रमण करते हुए 70 दिनों के पश्चात  25 सितंबर को उदय होगा। हिन्दू मान्यता के अनुसार प्रत्येक कार्य के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है। वही कुछ समय ऐसा भी आता है जब शुभकार्य निषेध होते है। शुक्र ग्रह व गुरु ग्रह के अस्त होने से मांगलिक कार्य निषेध माने जाते है। 20 जुलाई को शुक्र ग्रह के अस्त होने जिसे तारा डूब जाना भी कहते है से सभी शुभ कार्यो पर विराम लग जायेगा। जैसे विवाह , मुंडन, सगाई, ग्रह प्रवेश, ग्रह निर्माण, उद्यापन आदि। शुक्र अस्त होने पर इन तीन माह में विभिन्न राशियो पर मिलाजुला असर होगा। मेष राशि के जातको में प्रेम संबंधों में कमी आएगी, आपसी मनमुटाव रहेगा। वृष राशि पड़ोसियो से तनाव, सुख साधन में कमी होगी। मिथुन राशि यहां शुक्र के अस्त होने पर भी जातक को अच्छे फल मिलेंगे। कर्क राशि व्यापार में सफलता मिलेगी, धन लाभ होगा। सिं...

sawan maas start on 17 july 2019 सावन मास का आरंभ 17 जुलाई से 15 अगस्त तक

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श्रवण मास का आरंभ 17 जुलाई से 15 अगस्त तक 17 जुलाई बुधवार सावन माह का पहला दिन और 15 अगस्त रक्षाबंधन तक रहेगा। 17 जुलाई की ही सूर्य चंद्र की राशि कर्क में प्रवेश करेगा। इस माह चार सोमवार पड़ेंगे जो की 22 जुलाई, 29 जुलाई, 5 अगस्त, 12 अगस्त को होंगे। 5 अगस्त को नागपंचमी का त्योहार भी मनाया जाएगा। सावन माह में शिव की पूजा-आराधना का विशेष विधान है। सावन के सोमवार को शिव की पूजा व व्रत रखा जाता है। सावन मास भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। शिव पुराण के अनुसार जो कोई व्यक्ति सावन मास में सोमवार के व्रत रखता है उसकी समस्त मनोकामनाये पूरी होती है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की कुछ लोग सावन के पहले सोमवार से 16 सोमवार व्रत रखने का संकल्प लेते है। ऐसी मान्यता है कि जिन कन्याओ का विवाह नही हो रहा हो यदि वह सावन मास के पहले सोमवार से 16 सोमवार का व्रत करती है तो उनका विवाह शीघ्र हो जाता है। विवाहित महिलाओं के व्रत रखने से भगवान भोलेनाथ उन्हे सौभाग्य का वरदान देते है। काँवरिया यात्रा सावन मास में शिव भक्तों द्वारा कांवर यात्रा का आयोजन किया जाता है।काँवरिया तीर्थ स्थलों से पै...

Guru purnima 16 july 2019 ko, 16 जुलाई को शाम 4:30 बजे तक होगी गुरुपूर्णिमा पूजा

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16 जुलाई को शाम 4:30 बजे तक होगी गुरुपूर्णिमा पूजा 16 जुलाई मंगलवार आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। गुरुपूर्णिमा तिथि 16 जुलाई सुबह 1 बजकर 48 मिनट से 17 जुलाई सुबह 3:07 बजे तक रहेगी। गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा की जाती है। यह पर्व भारत मे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। हिन्दू धर्म मे गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना जाता है। क्योकि गुरु ही है जो इस संसार रूपी भव सागर को पार करने में सहायता करते है। गुरु के ज्ञान और गुरु के द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है। इसी दिन चंद्र ग्रहण होने के कारण चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पूर्व यानी 16 जुलाई शाम 4:30 बजे से सूतक लग जायेगा। जिसके कारण गुरु पूजा शाम 4:30 बजे से पूर्व तक ही होगी। इस दिन ऋषि वेद व्यास का जन्म हुआ था इसलिए गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही मनाई जाती है। क्योंकि वर्षा ऋतु का आरंभ होने के कारण ये चार माह मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते है। इन दिनों न अधिक गर्मी न अधिक सर्दी होती है। इसलिए गुरुज्ञान अध्ययन के लिए यह माह उपयुक्त माने गए है। इस दिन अपने ...

chandra grahan avam guru purnima ek saath गुरुपूर्णिमा व चंद्रग्रहण साथ साथ

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गुरुपूर्णिमा व चंद्रग्रहण साथ साथ 16 जुलाई मंगलवार गुरुपूर्णिमा के साथ चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह उत्तराषाढ़ नक्षत्र धनु राशि मे होगा। गुरूपर्णिमा पर लगातार यह दूसरा साल है जिस दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है। इससे पहले 27 जुलाई 2018 को गुरुपूर्णिमा पर ही खग्रास चंद्रग्रहण लगा था। चंद्रग्रहण 16 जुलाई देर रात 1:31 से सुबह 4:31 बजे तक रहेगा। यह चंद्र ग्रहण भारत मे आंशिक रूप से दिखाई देगा तथा साथ ही ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, एशिया, यूरोप एवं दक्षिण अमेरिका में भी दिखाई देगा। गुरुपूर्णिमा पर विशेष पूजा पाठ ध्यान किया जाता है । लोग इस दिन गुरुओं की पूजा करते है। गुरु पूजा के कार्यक्रम सूतक लगने से पहले तक ही होंगे। 16 जुलाई को सूतक  दोपहर 1:30 बजे से ही लग जायेगा। जिस कारण पूजा पाठ इस समय से पूर्व हो करना होगा। ग्रहण के समय ग्रहों की स्थिति शनि व केतु ग्रह चंद्र ग्रह के साथ ही ग्रहण के समय धनु राशि में रहेंगे। जिससे ग्रहण का प्रभाव ज्यादा पड़ेगा। सूर्य के साथ राहु और शुक्र मिथुन राशि मे रहेंगे। इस दौरान मंगल ग्रह नीच का रहेगा। जिससे जातको पर यह योग तनाव बड़ा सकता है। सूर्य और चंद्र ...

देवशयनी एकादशी 12 जुलाई से मांगलिक कार्यो पर लगेगा विराम Dev shayani Ekadashi

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देवशयनी एकादशी 12 जुलाई से मांगलिक कार्यो पर लगेगा विराम देवशयनी एकादशी 12 जुलाई शुक्रवार आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग में मनाई जाएगी। एकादशी तिथि 11 जुलाई शाम 3:32 बजे से प्रारंभ होकर 12 जुलाई शाम 3: 01 बजे तक रहेगी। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ भी माना गया है. देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी और पद्मनाभा के नाम से भी जाना जाता है सभी उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है  इस व्रत को करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, तथा सभी पापों का नाश होता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करने का महत्व होता है क्योंकि इसी रात्रि से भगवान का शयन काल आरंभ हो जाता है जिसे चातुर्मास या चौमासा का प्रारंभ भी कहते है। देवशयनी एकादशी के बाद सभी शुभ कार्यो पर जैसे यग्योपवीत संस्कार, विवाह, दीक्षा, यज्ञ, ग्रह प्रवेश सभी पर विराम लग जायेगा। इस समय भगवान विष्णु चार माह के लिए राजा बलि के यहाँ पाताल लोक में विश्राम करते है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की वास्तव में यह वे दिन होते हैं जब चारों तरफ नकारात...

भड़ली नवमी 10 जुलाई को अबूझ मुहूर्त Bhadli Navami puja vidhi

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भड़ली नवमी 10 जुलाई को अबूझ मुहूर्त 10 जुलाई बुधवार आषाढ़ शुक्लपक्ष की नवमी को भड़ली (भडल्या) नवमी पर्व मनाया जायेगा। नवमी तिथि व रवि योग होने से इस दिन गुप्त नवरात्रि का समापन भी होता है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भड़ली नवमी का दिन भी अक्षय तृतीया के समान ही महत्व रखता है अत: इसे अबूझ मुहूर्त मानते हैं तथा यह दिन शादी-विवाह को लेकर खास मायने रखता है। इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखे विवाह की विधि संपन्न की जा सकती है। जिनका विवाह मुहूर्त नही निकलता है यदि उनका विवाह इस दिन किया जाए, तो उनका वैवाहिक जीवन हर तरह से संपन्न रहता है, उनके जीवन में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होता। यह गुप्त नवरात्र का अंतिम दिन रवियोग में मनाया जायेगा। इस दिन में ज्यादातर तांत्रिक पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र में आमतौर पर ज्यादा प्रचार प्रसार नहीं किया जाता, अपनी साधना को गोपनीय रखा जाता है विशेष पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, सफलता उतनी ही ज्यादा और जल्दी मिलेगी इस दिन किए गए कार्य शुभ व समृद्धि दायक होते हैं। यह अपने आप में स्वयंसिद्ध है। जिसमें लक्ष्मी-नारायण की पूजा-अर्चना विशेष फलद...