Nag panchmi Puja 25 साल बाद नाग पंचमी पर बनेगा संजीवनी महायोग
25 साल बाद नाग पंचमी पर बनेगा संजीवनी महायोग
5अगस्त सोमवार श्रवण मास, शुक्लपक्ष की पंचमी पूर्णा तिथि, सोम का हस्त नक्षत्र और सिद्धि योग व श्रवण मास के तीसरे सोमवार को नाग पंचमी संजीवनी महायोग में मनाई जाएगी ।
यह योग इस वर्ष 25 वर्षो पश्चात बन रहा है। यह योग 16 अगस्त 1993 में बना था। अगला योग 21 अगस्त 2023 में बनेगा।
पंचमी तिथि 4 अगस्त शाम 6:48 बजे से प्रारंभ होकर 5 अगस्त दोपहर 2:52 बजे तक रहेगी। नाग पूजन का समय 5 अगस्त को सुबह 6 बजे से 7:37 बजे तक एवं 9:15 से 10:53 बजे तक रहेगा।
नागपंचमी एक ऐसा पर्व है जहाँ नाग शिव के गले का हार है। वही भगवान विष्णु की शैय्या है। इन्ही कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है जिससे माना जाता है कि भूगर्भ से नाग निकल कर भूतल पर आ जाते है। अतः वह किसी को नुकसान न पहुचाये इसलिए नागों की पूजा की जाती है।
नागपंचमी पर पूजन कैसे करे
नागपंचमी पर नाग मंदिर में या नाग देवता की प्रतिमा की पूजा की जाती है या तांबे की धातु से बने नाग की पूजा की जाती है जीवित नाग की पूजा का कोई महत्व नही है। यदि कोई सपेरा नाग को बंधक बनाता है तो उस नाग को सपेरे से खरीदकर उसे मुक्त कराया जाता है।
मंदिर में जाकर नाग देवता पर कच्चा दूध, इत्र व नारियल अर्पित करें। धूप दीप जलाकर देवताओ के समान पूजा करें। जिनकी कुंडली मे राहु व केतु द्वारा कोई दोष हो या कालसर्प दोष हो तो उन्हें इस नागपंचमी के दिन नाग प्रतिमा की पूजा करनी चाहिये। क्योंकि नाग का फन राहु का प्रतीक है और उसकी पूंछ केतु का प्रतीक है।
इस दिन तीसरा सोमवार होने के कारण व्रत भी किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
5अगस्त सोमवार श्रवण मास, शुक्लपक्ष की पंचमी पूर्णा तिथि, सोम का हस्त नक्षत्र और सिद्धि योग व श्रवण मास के तीसरे सोमवार को नाग पंचमी संजीवनी महायोग में मनाई जाएगी ।
यह योग इस वर्ष 25 वर्षो पश्चात बन रहा है। यह योग 16 अगस्त 1993 में बना था। अगला योग 21 अगस्त 2023 में बनेगा।
पंचमी तिथि 4 अगस्त शाम 6:48 बजे से प्रारंभ होकर 5 अगस्त दोपहर 2:52 बजे तक रहेगी। नाग पूजन का समय 5 अगस्त को सुबह 6 बजे से 7:37 बजे तक एवं 9:15 से 10:53 बजे तक रहेगा।
नागपंचमी एक ऐसा पर्व है जहाँ नाग शिव के गले का हार है। वही भगवान विष्णु की शैय्या है। इन्ही कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है जिससे माना जाता है कि भूगर्भ से नाग निकल कर भूतल पर आ जाते है। अतः वह किसी को नुकसान न पहुचाये इसलिए नागों की पूजा की जाती है।
नागपंचमी पर पूजन कैसे करे
नागपंचमी पर नाग मंदिर में या नाग देवता की प्रतिमा की पूजा की जाती है या तांबे की धातु से बने नाग की पूजा की जाती है जीवित नाग की पूजा का कोई महत्व नही है। यदि कोई सपेरा नाग को बंधक बनाता है तो उस नाग को सपेरे से खरीदकर उसे मुक्त कराया जाता है।
मंदिर में जाकर नाग देवता पर कच्चा दूध, इत्र व नारियल अर्पित करें। धूप दीप जलाकर देवताओ के समान पूजा करें। जिनकी कुंडली मे राहु व केतु द्वारा कोई दोष हो या कालसर्प दोष हो तो उन्हें इस नागपंचमी के दिन नाग प्रतिमा की पूजा करनी चाहिये। क्योंकि नाग का फन राहु का प्रतीक है और उसकी पूंछ केतु का प्रतीक है।
इस दिन तीसरा सोमवार होने के कारण व्रत भी किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
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