देवशयनी एकादशी 12 जुलाई से मांगलिक कार्यो पर लगेगा विराम Dev shayani Ekadashi
देवशयनी एकादशी 12 जुलाई से मांगलिक कार्यो पर लगेगा विराम
देवशयनी एकादशी 12 जुलाई शुक्रवार आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग में मनाई जाएगी। एकादशी तिथि 11 जुलाई शाम 3:32 बजे से प्रारंभ होकर 12 जुलाई शाम 3: 01 बजे तक रहेगी। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ भी माना गया है. देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी और पद्मनाभा के नाम से भी जाना जाता है सभी उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है
इस व्रत को करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, तथा सभी पापों का नाश होता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करने का महत्व होता है क्योंकि इसी रात्रि से भगवान का शयन काल आरंभ हो जाता है जिसे चातुर्मास या चौमासा का प्रारंभ भी कहते है।
देवशयनी एकादशी के बाद सभी शुभ कार्यो पर जैसे यग्योपवीत संस्कार, विवाह, दीक्षा, यज्ञ, ग्रह प्रवेश सभी पर विराम लग जायेगा। इस समय भगवान विष्णु चार माह के लिए राजा बलि के यहाँ पाताल लोक में विश्राम करते है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की वास्तव में यह वे दिन होते हैं जब चारों तरफ नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ने लगता है और शुभ शक्तियां कमजोर पड़ने लगती हैं ऐसे में जरूरी होता है कि देव पूजन द्वारा शुभ शक्तियों को जाग्रत रखा जाए। देवप्रबोधिनी एकादशी 8 नवंबर शुक्रवार को भगवान विष्णु देवता के उठने के साथ ही शुभ शक्तियां प्रभावी हो जाती हैं और नकारात्मक शक्तियां क्षीण होने लगती हैं।
देवशयनी पर ऐसे करें पूजा
देवशयनी एकादशी को सुबह जल्दी उठें। इसके बाद घर की साफ-सफाई और नित्य कर्म से निवृत्त होकर घर में पवित्र जल से छिड़काव करें। घर के पूजा स्थल या किसी पवित्र स्थान पर भगवान श्री विष्णु जी की सोने, चांदी, तांबे या कांसे की मूर्ति स्थापित करें। उसके बाद षोडशोपचार से उनकी पूजा करें। भगवान विष्णु को पीतांबर आदि से विभूषित करें।
फिर व्रत कथा सुने, इसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें। सफेद चादर से ढके हुए बिस्तर पर श्री विष्णु को शयन कराना चाहिए। इन चार महीनों के लिए अपनी रुचि या इच्छा के अनुसार दैनिक व्यवहार के पदार्थों का त्याग करें।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
https://astrologytricks.blogspot.com/2019/07/10-bhadli-navmi.html
देवशयनी एकादशी 12 जुलाई शुक्रवार आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग में मनाई जाएगी। एकादशी तिथि 11 जुलाई शाम 3:32 बजे से प्रारंभ होकर 12 जुलाई शाम 3: 01 बजे तक रहेगी। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ भी माना गया है. देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी और पद्मनाभा के नाम से भी जाना जाता है सभी उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है
इस व्रत को करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, तथा सभी पापों का नाश होता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करने का महत्व होता है क्योंकि इसी रात्रि से भगवान का शयन काल आरंभ हो जाता है जिसे चातुर्मास या चौमासा का प्रारंभ भी कहते है।
देवशयनी एकादशी के बाद सभी शुभ कार्यो पर जैसे यग्योपवीत संस्कार, विवाह, दीक्षा, यज्ञ, ग्रह प्रवेश सभी पर विराम लग जायेगा। इस समय भगवान विष्णु चार माह के लिए राजा बलि के यहाँ पाताल लोक में विश्राम करते है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की वास्तव में यह वे दिन होते हैं जब चारों तरफ नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ने लगता है और शुभ शक्तियां कमजोर पड़ने लगती हैं ऐसे में जरूरी होता है कि देव पूजन द्वारा शुभ शक्तियों को जाग्रत रखा जाए। देवप्रबोधिनी एकादशी 8 नवंबर शुक्रवार को भगवान विष्णु देवता के उठने के साथ ही शुभ शक्तियां प्रभावी हो जाती हैं और नकारात्मक शक्तियां क्षीण होने लगती हैं।
देवशयनी पर ऐसे करें पूजा
देवशयनी एकादशी को सुबह जल्दी उठें। इसके बाद घर की साफ-सफाई और नित्य कर्म से निवृत्त होकर घर में पवित्र जल से छिड़काव करें। घर के पूजा स्थल या किसी पवित्र स्थान पर भगवान श्री विष्णु जी की सोने, चांदी, तांबे या कांसे की मूर्ति स्थापित करें। उसके बाद षोडशोपचार से उनकी पूजा करें। भगवान विष्णु को पीतांबर आदि से विभूषित करें।
फिर व्रत कथा सुने, इसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें। सफेद चादर से ढके हुए बिस्तर पर श्री विष्णु को शयन कराना चाहिए। इन चार महीनों के लिए अपनी रुचि या इच्छा के अनुसार दैनिक व्यवहार के पदार्थों का त्याग करें।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
https://astrologytricks.blogspot.com/2019/07/10-bhadli-navmi.html
Comments
Post a Comment