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Showing posts from December, 2020

new year 2021will start with pushya nakshtra

*पुष्य नक्षत्र और बुद्धादित्य योग में होगी नववर्ष की शुरुआत * *सबसे बड़ा ग्रह गुरु बृहस्पति राशि परिवर्तन करेंगे* नववर्ष का स्वागत करने के लिए लोग तैयार हैं। वर्ष 2020 को लेकर लोगों की यादें कुछ अच्छी नहीं रहीं हैं। कोविड 19 के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इस महामारी का भय अभी भी बना हुआ है। आने वाला साल लोगों के लिए अच्छा साबित हो, ऐसी लोग प्रार्थना कर रहे हैं। पंचांग के अनुसार 31 दिसंबर 2020 रात्रि 12:00 बजे के बाद 00:00:01 बजे वर्ष 2021 का आरंभ होगा. इस दिन मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है, इस दिन चंद्रमा कर्क राशि और सूर्य धनु राशि में विराजमान रहेंगे।  ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि विशेष बात ये है कि नववर्ष यानि एक जनवरी 2021 का आरंभ गुरु पुष्य महायोग में होगा। इस वर्ष  पंच ग्रही और छः ग्रही योग बनेंगे। 24 जनवरी से 11 फरवरी तक मकर राशि मे बनेगा पंचग्रही योग जिसमे शनि, गुरु, सूर्य, बुध, शुक्र मकर राशि मे रहेंगे। 9 फरवरी से 12 फरवरी चंद्र ग्रह के मकर राशि मे आ जाने से छः ग्रही योग बनेगा। और 6अप्रैल को सबसे बड़ा ग्रह गुरु बृहस्पति मकर ...

Mangal grah ka mesh rashi me transit 24 december 2020

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* ग्रहों का सेनापति मंगल ग्रह का आज अपनी राशि मेष में प्रवेश * सभी ग्रहों में सेनापति का दर्जा प्राप्त मंगल ग्रह 24 दिसम्बर, बृहस्पतिवार को सुबह 10:20 बजे अपने मित्र बृहस्पति की मीन राशि से निकलकर अपनी ही राशि मेष में प्रवेश करेगा।जो कि 21 फरवरी तक मेष राशि मे रहेगा। 22 फरवरी को मंगल ग्रह वृषभ राशि मे चले जायेंगे।  ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि मंगल ग्रह व्यवसाय, भूमि, भाई, साहस, पराक्रम, क्रोध, वीरता आदि का कारक माना जाता है। मंगल ग्रह मेष राशि मे कुछ लोगो को अच्छे व कुछ को बुरे प्रभाव देगा। * विभिन्न राशियों पर मंगल के प्रभाव* मेष राशि मंगल के आधिपत्य वाली राशि है और अग्नि तत्व राशि है तथा मंगल स्वयं भी एक अग्नि तत्व प्रधान ग्रह है। इस प्रकार अग्नि तत्व प्रधान राशि में अग्नि तत्व प्रधान ग्रह का गोचर शीघ्रता से परिणाम देने वाला साबित होगा । मंगल अपने गोचर काल में शीघ्र फल देने वाला ग्रह माना जाता है। मेष राशि- आपके व्यवहार में तेजी से बदलाव आएंगे और आप में किसी भी कार्य को करने की जल्दबाजी दिखाई देगी। आपके जीवनसाथी के मध्य दांपत्य जीवन में कुछ समस्याएं जन्म ले...

21 december ko surya dev uttarayan honge

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*सूर्य की गति उत्तर की और 21 दिसंबर से प्रारम्भ होगी * सायन पद्धत्ति के अनुसार 21 दिसंबर से सूर्य देव की गति में परिवर्तन होगा। भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर गति करना प्रारंभ करेंगे। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि जब सूर्य देव उत्तर की ओर गति करते हैं तो उसे उत्तरायण कहते हैं और दक्षिण दिशा की ओर गति को दक्षिणायन कहा जाता है। 21 दिसंबर को ही इस वर्ष का सबसे छोटा दिन व रात सबसे लंबी होगी, तथा उसके पश्चात दिन बड़े होने प्रारम्भ हो जायेगे और राते छोटी होने लगेगी।क्योंकि सूर्य की गति उत्तर की और प्रारम्भ हो जाएगी। निरयण पद्वति के अनुसार 14 जनवरी मकर संक्रांति को सूर्य उत्तरायण माना जाता है। साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। यही परिवर्तन या अयन उत्तरायण और दक्षिणयान कहा जाता है। कालगणना के अनुसार, जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तब इस समय को उत्तरायण कहते हैं। इसका समय छह माह का होता है। इसके बाद जब सूर्य कर्क राशि से सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, और धनु राशि में विचरण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं। यह भी छह माह के लिए...

somavati amavas 14 december ko

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*सोमवती अमावस पर बनेगा पंचग्रही योग * इस बार अमावस 14 दिसंबर सोमवार, कृष्णपक्ष, मार्गशीर्ष माह को सोमवती अमावस मनाई जाएगी। इस अमावस का विशेष महत्व माना जाता है। सोमवती अमावस साल में 2 या 3 बार ही पड़ती है। सोमवती अमावस का प्रारंभ 13 दिसंबर की रात्रि 12:45 बजे से होगा और 14 दिसंबर सोमवार रात्रि 9:46 बजे तक रहेगा।   ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि अमावस के दिन दान और स्नान का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति हेतु नदी में स्नान करते हैं। स्नान के बाद पितरों के नाम से दान भी किया जाता है।  कोरोना काल के चलते पवित्र नदियों में जाना व स्नान करना वर्जित होने के कारण, जातक अपने घर मे ही एक बाल्टी में गंगाजल व पानी डालकर स्नान कर सकते है।  जिनकी कुंडली मे पितृदोष है वह जातक इस दिन पितृदोष की पूजा भी करते है। 14 दिसंबर को ही पंचग्रही योग भी बन रहा है, इस दिन बुध ग्रह,सूर्य, शुक्र, केतु और चंद्र वृश्चिक में विद्यमान रहेंगे। राहु की दृष्टि सूर्य पर पड़ेगी। इसी के साथ सूर्य ग्रहण भी होगा जो भारत मे दिखाई नही देगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं...

shani and guru grah paas paas honge 21 december ko

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* 400 साल बाद गुरु और शनि का मिलन 21 दिसम्बर को होगा* 21 दिसंबर सोमवार को जिस दिन इस  वर्ष की सबसे लंबी रात होगी तब गुरु ग्रह व शनि ग्रह का आकाशमंडल में मिलन होगा। ये दोनों ग्रह 0.1 डिग्री की दूरी पर एक-दूसरे में मिलते हुए नजर आएंगे। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि सूरज के ढलते ही रिंग वाला शनि ग्रह और सबसे बड़ा ग्रह गुरु बृहस्पति को जोड़ी बनाते इस समय पश्चिमी आकाश में देखा जा सकता है। दोनों ग्रह मिलन को आतुर हैं।  वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाली हर शाम को यह नजदीकियां बढ़ती नजर आएंगी। यानी साल की सबसे लम्बी रात को आसमान में गुरु-शनि का मिलन होगा। यह बड़ी खगोलीय घटना 400 साल बाद देखने को मिलेगी। इससे पूर्व ये दिनों ग्रह इतने करीब 1623 में आये थे, उसके बाद इतना नजदीकी कंजक्शन अब 21 दिसम्बर  को दिखने जा रहा है। आने वाले समय में इतना सामीप्य लगभग 60 साल बाद 15 मार्च 2080 को होने वाले कंजक्शन में देखा जा सकेगा। अपनी दृष्टि पश्चिमी आकाश की तरफ करेंगे तो दोनों ग्रह एक दूसरे से जोड़ी बनाते नज़र आएंगे। इनमें से बड़ा चमकदार ग्रह बृहस्पति और उसके साथ का थोड़ा कम ...

utpanna ekadashi 11 december ko manai jayegi

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*एकादशी व्रत का प्रारंभ उत्पन्ना एकादशी से करें* उत्पन्ना एकादशी 11 दिसम्बर शुक्रवार को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि 10 दिसम्बर दोपहर 12:51 बजे प्रारम्भ होगी और 11 दिसंबर  सुबह 10:04 बजे तक रहेगी। उत्पन्ना एकादशी को सभी एकादशियों का प्रारंभ माना जाता है। मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था। इसी के चलते इस दिन को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है।  देवी एकादशी, भगवान विष्णु की एक शक्ति का रूप हैं। भगवान विष्णु के शरीर से ही उत्पन्न होकर एक कन्या ने मुर नामक राक्षस का वध किया था, इसके बाद भगवान विष्णु ने उस कन्या को एकादशी नाम दिया। यह एकादशी हेमंत ऋतु में आती है। इसी कारण से इस एकादशी को अगहन या मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी नाम से भी जाना जाता है।हिंदू पंचांग के अनुसार, 1 वर्ष में 24 एकादशी आती हैं। एक माह में दो एकादशी पड़ती हैं।  एकादशी व्रत की शुरुआत उत्पन्ना एकादशी से ही मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत के कुछ नियम हैं। जिसके अनुसार जो भी व्यक्ति एकादशी व्रत प्रारम्भ करना चाहता है उसे उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत...

kharmas15 december se lagega

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* सूर्य के धनु राशि मे प्रवेश 15 दिसंबर से लगेगा खरमास* सूर्य देव 12 महीनों में 12 राशियों में भ्रमण करते है, एक राशि मे एक महीना रहते है। जब सूर्य धनु या मीन राशि मे प्रवेश करते है तो उस स्थिति को खरमास कहते है। मार्गशीष माह में 15 दिसंबर मंगलवार को सूर्य देवता वृश्चिक राशि से धनु राशि मे रात्रि 9:30 बजे प्रवेश करते ही खरमास प्रारम्भ हो जाएगा जो कि 14 जनवरी सुबह 8:13 बजे तक रहेगा।  *सूर्य के धनु राशि मे प्रवेश 15 दिसंबर से लगेगा खरमास* सूर्य देव 12 महीनों में 12 राशियों में भ्रमण करते है, एक राशि मे एक महीना रहते है। जब सूर्य धनु या मीन राशि मे प्रवेश करते है तो उस स्थिति को खरमास कहते है। मार्गशीष माह में 15 दिसंबर मंगलवार को सूर्य देवता वृश्चिक राशि से धनु राशि मे रात्रि 9:30 बजे प्रवेश करते ही खरमास प्रारम्भ हो जाएगा जो कि 14 जनवरी सुबह 8:13 बजे तक रहेगा।   सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर सभी शुभ कार्य एक महीने के लिए बंद हो जाते हैं। साल में दो बार ऐसा समय आता है जब सूर्य के धनु व मीन राशि में प्रवेश करने पर शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। जब भी हम कोई मा...

Kall Bhairav janmashtami 7 December 2020 ko Hogi

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*तंत्र के देवता भगवान श्री काल भैरव का जन्मोत्सव 7 दिसम्बर को मनाया जाएगा *  मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 7 दिसम्बर सोमवार  को काल भैरव जयंती के रूप में मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 7 दिसम्बर शाम 6 बजकर 47 मिनट से 8 दिसम्बर शाम 5 बजकर 17 मिनट तक रहेगी।  भगवान काल भैरव को भगवान शिव का पांचवा रौद्र अवतार माना जाता है। काल भैरव को तंत्र का देवता भी माना जाता है। इसी कारण से इस दिन काल भैरव की पूजा से भूत,प्रेत और ऊपरी बाधा जैसी समस्याएं भी समाप्त होती है। काल भैरव को काले कुत्ते का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए उस दिन काले कुत्ते को दूध पिलाने से कष्टो का निवारण होता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस दिन ग्वालियर में स्थित काल भैरव मंदिर रॉक्सी पुल करतार होटल के पास,  नया बाजार चौराहा, पिंटू पार्क मुरार आदि स्थानों पर काल भैरव की पूजा की जाएगी।  महाराज बाड़े के पास माधोगंज रोड पर भी बहुत पुराना मंदिर है। 118 वर्ष से भी अधिक प्राचीन  भैरव बाबा का मंदिर सराफा बाजार कसेरा ओली में स्थित है, इसे बच्छराज का बाड़ा नाम से भी जाना जाता है। यहां...