kharmas15 december se lagega
*सूर्य के धनु राशि मे प्रवेश 15 दिसंबर से लगेगा खरमास*
सूर्य देव 12 महीनों में 12 राशियों में भ्रमण करते है, एक राशि मे एक महीना रहते है। जब सूर्य धनु या मीन राशि मे प्रवेश करते है तो उस स्थिति को खरमास कहते है।
मार्गशीष माह में 15 दिसंबर मंगलवार को सूर्य देवता वृश्चिक राशि से धनु राशि मे रात्रि 9:30 बजे प्रवेश करते ही खरमास प्रारम्भ हो जाएगा जो कि 14 जनवरी सुबह 8:13 बजे तक रहेगा।
*सूर्य के धनु राशि मे प्रवेश 15 दिसंबर से लगेगा खरमास*
सूर्य देव 12 महीनों में 12 राशियों में भ्रमण करते है, एक राशि मे एक महीना रहते है। जब सूर्य धनु या मीन राशि मे प्रवेश करते है तो उस स्थिति को खरमास कहते है।
मार्गशीष माह में 15 दिसंबर मंगलवार को सूर्य देवता वृश्चिक राशि से धनु राशि मे रात्रि 9:30 बजे प्रवेश करते ही खरमास प्रारम्भ हो जाएगा जो कि 14 जनवरी सुबह 8:13 बजे तक रहेगा।
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर सभी शुभ कार्य एक महीने के लिए बंद हो जाते हैं। साल में दो बार ऐसा समय आता है जब सूर्य के धनु व मीन राशि में प्रवेश करने पर शुभ कार्य बंद हो जाते हैं।
जब भी हम कोई मांगलिक कार्य करते हैं तो उसके फलित होने के लिए गुरु का प्रबल होना जरूरी होता है। धनु एवं मीन बृहस्पति ग्रह की राशियां हैं। खरमास के समय सूर्य इन दोनों राशियों में होते हैं।इसलिए शुभ कार्य नहीं होते। खरमास में विवाह,गृह प्रवेश,गृह निर्माण, सगाई, वधू प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्यो पर विराम लग जाता है। इन दिनों मे प्रारंभ किए गए कार्यो का फलअच्छा नहीं होता। पौष मास आध्यात्मिक रूप से खुद को संपन्न और उन्नत बनाने का महीना है। इसे ऋषियों ने खरमास या मलमास इसलिए नाम दिया, ताकि सांसारिक कामों से मुक्त होकर पूरे महीने लोग आध्यात्मिक लाभ के लिए कर्म करें। इस माह में आध्यात्मिक साधना करके मन पर काबू किया जा सकता है।
खरमास में खर का अर्थ 'दुष्ट' होता है और मास का अर्थ महीना होता है, इसे आप 'दुष्टमास' भी कह सकते हैं। इस मास में सूर्य बिलकुल ही क्षीण होकर तेज हीन हो जाते हैं। मार्गशीर्ष और पौष का संधिकाल खरमास को जन्म देता है। इन माहों में सूर्य की किरणें कमज़ोर हो जाती हैं इनके धनु राशि में प्रवेश के साथ ही राशि स्वामी गुरु का तेज भी प्रभावहीन रहता है और उनके स्वभाव में उग्रता आ जाती है।
खरमास के महीने में भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। भगवान विष्णु का केसर युक्त दूध से अभिषेक करें व तुलसी की माला से 11 बार भगवान विष्णु के मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जप करें।
पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इसलिए खरमास में पीपल की पूजा करें व दिया जलाए।
कार्यक्षेत्र में उन्नति के लिये खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन करवाना पुण्य फलदायी माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर सभी शुभ कार्य एक महीने के लिए बंद हो जाते हैं। साल में दो बार ऐसा समय आता है जब सूर्य के धनु व मीन राशि में प्रवेश करने पर शुभ कार्य बंद हो जाते हैं।
जब भी हम कोई मांगलिक कार्य करते हैं तो उसके फलित होने के लिए गुरु का प्रबल होना जरूरी होता है। धनु एवं मीन बृहस्पति ग्रह की राशियां हैं। खरमास के समय सूर्य इन दोनों राशियों में होते हैं।इसलिए शुभ कार्य नहीं होते। खरमास में विवाह,गृह प्रवेश,गृह निर्माण, सगाई, वधू प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्यो पर विराम लग जाता है। इन दिनों मे प्रारंभ किए गए कार्यो का फलअच्छा नहीं होता। पौष मास आध्यात्मिक रूप से खुद को संपन्न और उन्नत बनाने का महीना है। इसे ऋषियों ने खरमास या मलमास इसलिए नाम दिया, ताकि सांसारिक कामों से मुक्त होकर पूरे महीने लोग आध्यात्मिक लाभ के लिए कर्म करें। इस माह में आध्यात्मिक साधना करके मन पर काबू किया जा सकता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने कहा कि खरमास में खर का अर्थ 'दुष्ट' होता है और मास का अर्थ महीना होता है, इसे आप 'दुष्टमास' भी कह सकते हैं। इस मास में सूर्य बिलकुल ही क्षीण होकर तेज हीन हो जाते हैं। मार्गशीर्ष और पौष का संधिकाल खरमास को जन्म देता है। इन माहों में सूर्य की किरणें कमज़ोर हो जाती हैं इनके धनु राशि में प्रवेश के साथ ही राशि स्वामी गुरु का तेज भी प्रभावहीन रहता है और उनके स्वभाव में उग्रता आ जाती है।
खरमास के महीने में भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। भगवान विष्णु का केसर युक्त दूध से अभिषेक करें व तुलसी की माला से 11 बार भगवान विष्णु के मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जप करें।
पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इसलिए खरमास में पीपल की पूजा करें व दिया जलाए।
कार्यक्षेत्र में उन्नति के लिये खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन करवाना पुण्य फलदायी माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
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