somavati amavas 14 december ko

*सोमवती अमावस पर बनेगा पंचग्रही योग*
इस बार अमावस 14 दिसंबर सोमवार, कृष्णपक्ष, मार्गशीर्ष माह को सोमवती अमावस मनाई जाएगी। इस अमावस का विशेष महत्व माना जाता है। सोमवती अमावस साल में 2 या 3 बार ही पड़ती है।
सोमवती अमावस का प्रारंभ 13 दिसंबर की रात्रि 12:45 बजे से होगा और 14 दिसंबर सोमवार रात्रि 9:46 बजे तक रहेगा।
 ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि अमावस के दिन दान और स्नान का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति हेतु नदी में स्नान करते हैं। स्नान के बाद पितरों के नाम से दान भी किया जाता है। 
कोरोना काल के चलते पवित्र नदियों में जाना व स्नान करना वर्जित होने के कारण, जातक अपने घर मे ही एक बाल्टी में गंगाजल व पानी डालकर स्नान कर सकते है। 
जिनकी कुंडली मे पितृदोष है वह जातक इस दिन पितृदोष की पूजा भी करते है। 14 दिसंबर को ही पंचग्रही योग भी बन रहा है, इस दिन बुध ग्रह,सूर्य, शुक्र, केतु और चंद्र वृश्चिक में विद्यमान रहेंगे। राहु की दृष्टि सूर्य पर पड़ेगी। इसी के साथ सूर्य ग्रहण भी होगा जो भारत मे दिखाई नही देगा।
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत भी रखती है जो कि सोमवती अमावस्या पर मौन व्रत करने का विधान है। माना जाता है कि जो मनुष्य इस दिन मौन व्रत करता है उसे सहस्त्र गोदान के समान फल की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन  महिलाएं अपने पति की दिर्घायु की कामना करते हुए सोमवती अमावस्या पर मोन व्रत करती हैं।
*सोमवती अमावस का महत्व*
महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य हर रूप से सुखी-समृद्ध होगा। साथ ही वह पूर्ण रूप से स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त भी होगा। मान्‍यता यह भी है कि इस दिन स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
*कैसे करे सोमवती अमावस पूजा*
पीपल के वृक्ष के  मूल भाग में विष्णु जी और अग्रभाग में ब्रह्मा जी और तने में शिव जी का वास माना जाता है, इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। 
इस दिन विवाहित स्त्रियों को पीपल के वृक्ष  में  दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा करनी चाहिए।
उस पीपल के वृक्ष में 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करते हुए पति की दीर्घायु की कामना करनी चाहिए
इस दिन किसी गरीब को एक टाइम का भोजन, मिष्ठान व दान अवश्य करे।
इस भोजन में उडद की दाल से बनी वस्तुओं का प्रयोग करे।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
9302325222

Comments

Popular posts from this blog

मंगल ग्रह का नीच राशि मे प्रवेश, शत्रु ग्रह बुध के साथ बनेगी युति

guru transit in Dhanu rashi, 5 नवंबर को गुरु अपनी ही राशि धनु राशि मे गोचर करेंगे

Guru purnima 16 july 2019 ko, 16 जुलाई को शाम 4:30 बजे तक होगी गुरुपूर्णिमा पूजा