मंगल ग्रह का नीच राशि मे प्रवेश, शत्रु ग्रह बुध के साथ बनेगी युति
मंगल ग्रह का नीच राशि मे प्रवेश, शत्रु ग्रह बुध के साथ बनेगी युति
22 जून शनिवार आषाढ़ मास की षष्टी तिथि को रात्रि 11 बजकर 22 मिनट पर मंगल ग्रह मिथुन राशि से अपनी नीच राशि कर्क में प्रवेश करेंगे। मंगल अगले 47 दिनों तक नीच राशि मे रहेंगे।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि बुध ग्रह ने 20 जून को कर्क राशि मे प्रवेश किया है। कर्क राशि मे आपस मे शत्रु ग्रह मंगल व बुध की युति बनेगी। ये युति 8 अगस्त तक रहेगी।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि मंगल ग्रह युद्ध का देवता है, साथ ही वीरता और मंगल कार्यो के भी सूचक है। मनुष्य के शरीर मे मंगल ऊर्जा प्रदान करने वाला ग्रह है।मंगल ग्रह का व्यक्ति के जीवन मे अहम स्थान है। मंगल ब्लड का कारक है और बुध त्वचा व सांस की नली का कारक है। मंगल के नीच राशि मे होने से व शत्रु ग्रह बुध की युति से जातको को अच्छे परिणाम नही मिलेंगे। त्वचा व सांस की बीमारियों से झूझना पड़ेगा। कफ व सर्दी जुकाम की अधिकता होगी। स्वास्थ्य खराब होने की आशंका बनी रहेगी।
नुकसान पहुंचाने वाली मंगल की दशाएं
कुंडली में छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठा मंगल हमेशा ही अशुभ परिणाम देता है। इसके अलावा वक्री या अस्त मंगल भी अशुभ स्थितियां पैदा करता है। ऐसी कुंडली वाले व्यक्ति अत्यधिक क्रोधी हो सकते हैं। ये हमेशा किसी ना किसी बात पर दुखी रहते हैं, ऐसे में कई बार परिस्थितियों से हारकर ये अत्यधिक क्रूर भी हो सकते
मंगल की अशुभता व्यक्ति को कभी कर्ज से मुक्त नहीं होने देती। ऐसे में मंगलवार का व्रत करने के साथ ही ऋणमोचक मंगल स्त्रोत का पाठ करना मंगल को शुभ स्थितियों में लाकर कर्ज से मुक्ति दिला सकता है। दूसरे दिन व्रत का पारण करते हुए यह ध्यान रखें इसमें बिना नमक की खाद्य वस्तुएं हों। गुड़ डालकर बना बेसन या आटे के लड्डू इसके लिए सबसे अच्छा होगा
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
9302325222
22 जून शनिवार आषाढ़ मास की षष्टी तिथि को रात्रि 11 बजकर 22 मिनट पर मंगल ग्रह मिथुन राशि से अपनी नीच राशि कर्क में प्रवेश करेंगे। मंगल अगले 47 दिनों तक नीच राशि मे रहेंगे।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि बुध ग्रह ने 20 जून को कर्क राशि मे प्रवेश किया है। कर्क राशि मे आपस मे शत्रु ग्रह मंगल व बुध की युति बनेगी। ये युति 8 अगस्त तक रहेगी।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि मंगल ग्रह युद्ध का देवता है, साथ ही वीरता और मंगल कार्यो के भी सूचक है। मनुष्य के शरीर मे मंगल ऊर्जा प्रदान करने वाला ग्रह है।मंगल ग्रह का व्यक्ति के जीवन मे अहम स्थान है। मंगल ब्लड का कारक है और बुध त्वचा व सांस की नली का कारक है। मंगल के नीच राशि मे होने से व शत्रु ग्रह बुध की युति से जातको को अच्छे परिणाम नही मिलेंगे। त्वचा व सांस की बीमारियों से झूझना पड़ेगा। कफ व सर्दी जुकाम की अधिकता होगी। स्वास्थ्य खराब होने की आशंका बनी रहेगी।
नुकसान पहुंचाने वाली मंगल की दशाएं
कुंडली में छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठा मंगल हमेशा ही अशुभ परिणाम देता है। इसके अलावा वक्री या अस्त मंगल भी अशुभ स्थितियां पैदा करता है। ऐसी कुंडली वाले व्यक्ति अत्यधिक क्रोधी हो सकते हैं। ये हमेशा किसी ना किसी बात पर दुखी रहते हैं, ऐसे में कई बार परिस्थितियों से हारकर ये अत्यधिक क्रूर भी हो सकते
मंगल की अशुभता व्यक्ति को कभी कर्ज से मुक्त नहीं होने देती। ऐसे में मंगलवार का व्रत करने के साथ ही ऋणमोचक मंगल स्त्रोत का पाठ करना मंगल को शुभ स्थितियों में लाकर कर्ज से मुक्ति दिला सकता है। दूसरे दिन व्रत का पारण करते हुए यह ध्यान रखें इसमें बिना नमक की खाद्य वस्तुएं हों। गुड़ डालकर बना बेसन या आटे के लड्डू इसके लिए सबसे अच्छा होगा
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
9302325222
Comments
Post a Comment