janmashtami shubh muhurt, puja vidhi 2020

*इस बार जन्माष्टमी रोहिणी रहित सर्वार्थसिद्धि योग में होगी*
जन्माष्टमी का त्योहार भादप्रद महीने की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। भगवान श्री कृष्ण का जन्म का भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को हुआ था। कृष्ण जी ने रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था। इसीलिए अगर अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र होता है, तो यह एक बहुत ही शुभ और विशेष संयोग माना जाता है। इस बार जन्माष्टमी का स्मार्त व्रत 11 को व मुख्य व्रत  12 अगस्त बुधवार के दिन रखा  जाएगा। इस बार जन्माष्टमी के दिन अष्टमी की तिथि और कृतिका नक्षत्र है। 
अष्टमी तिथि आरंभ – 09:06 (11 अगस्त)

अष्टमी तिथि समाप्त – 11:15 (12 अगस्त
अगर दोनों दिन अष्टमी आधी रात को व्याप्त न करे तो प्रत्येक स्थिति में जन्माष्टमी व्रत दूसरे ही दिन होगा
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ
जन्माष्टमी का महत्व
1.  इस दिन देश के समस्त मंदिरों का श्रृंगार किया जाता है।
2.  श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में झाकियाँ सजाई जाती हैं।
3.  भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार करके झूला सजा के उन्हें झूला झुलाया जाता है।

स्त्री-पुरुष रात के बारह बजे तक व्रत रखते हैं। रात को बारह बजे शंख तथा घंटों की आवाज से श्रीकृष्ण के जन्म की खबर चारों दिशाओं में गूँज उठती है। भगवान कृष्ण जी की आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है।
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार जन्माष्टमी के दिन कृतिका नक्षत्र रहेगा। चंद्रमा इस दिन मेष राशि में तो वहीं सूर्य कर्क राशि में रहेगा। इस दिन वृद्धि योग भी बन रहा है। 
पूजा का समय: 12:05 AM से लेकर 12:47 AM,तक रहेगा। यानि कुल मिलाकर पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी
जन्माष्टमी पूजा विधि
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं उसके बाद भगवान् कृष्ण के बालस्वरुप को किसी स्वच्छ पात्र में रखे। फिर उन्हें पंचामृत से स्नान करवाएं। उसके बाद गंगाजल से स्नान कराएं। उन्हें सुंदर वस्त्र पहना कर उनका शृंगार करें। तत्पश्चात् कृष्ण जी को झूला झुलाएं और धूप-दीप आदि दिखाएं। रोली और अक्षत से तिलक करें। माखन मिश्री का भोग लगाते हुए प्रार्थना करें। हे ! कृष्ण मुरारी भोग और पूजा ग्रहण कीजिए। कृष्ण जी को तुलसी का पत्ता भी अर्पित करना चाहिए। भोग के बाद गंगाजल भी अर्पित करें
 जो दंपत्ति नि:संतान हैं। उन्हें इस दिन व्रत रखकर सच्चे मन से श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से लड्डू गोपाल उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। संतान से संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं और संतान दीर्घायु होती है। नि:संतान दंपत्तियो को जन्माष्टमी पर रात को कृष्ण जन्म के समय बांसुरी अर्पित करनी चाहिए। मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत करने से आपके सारे पाप नष्ट हो जाते
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा

Comments

Popular posts from this blog

मंगल ग्रह का नीच राशि मे प्रवेश, शत्रु ग्रह बुध के साथ बनेगी युति

guru transit in Dhanu rashi, 5 नवंबर को गुरु अपनी ही राशि धनु राशि मे गोचर करेंगे

Guru purnima 16 july 2019 ko, 16 जुलाई को शाम 4:30 बजे तक होगी गुरुपूर्णिमा पूजा