shardiye Navmi Puja, महा नवमी के दिन करे कन्याओं जी पूजा

महा नवमी के दिन करे कन्याओं जी पूजा
शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों के पूजन के बाद नवमी तिथि के दिन मां दुर्गा को विदाई दी जाती है। इस दिन को महानवमी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है.
इस साल नवरात्रि में महानवमी 7 अक्टूबर की पड़ रही है. 6 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 56 मिनट से नवमी तिथि शुरू होकर 7 अक्टूबर सुबह 12 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगी।
देश के कई हिस्सों में लोग अष्टमी की पूजा करते हैं यानी मां दुर्गा को अष्टमी पर विदाई देते हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग आठवां नवरात्रि 6 अक्टूबर  दिन रविवार दोपहर 03:05 से 07 अक्टूबर सुबह 05:46 तक रहेगा। तथा सर्वार्थ सिद्धि तिथि : नवमी, महानवमी नवरात्रि 7 अक्टूबर  दिन सोमवार  शाम 05:26 से 8 अक्टूबर सुबह 05:46 तक रहेगी।

 ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की महानवमी के दिन छोटी बच्चियों को मां का रूप मानते हुए उनकी पूजा की जाती है. साथ ही उनका आशिर्वाद लिया जाता है. यह दिन काफी शुभ माना गया है. इस दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों से सिर पर मां दुर्गा की कृपा बरसती है और सभी परेशानियां दूर होती है।  इस दिन घर में छोटी कन्याओं के पूजन का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन विधिवत कन्या पूजन से मां दुर्गा की कृपा बरसती है. महानवमी के मौके पर कन्याओं के पूजन के साथ-साथ उन्हें उपहार और दक्षिणा भी दी जाती है.

मान्यता है कि ऐसा करने वाले लोगों से मां दुर्गा अत्यंत ही प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा सदैव भक्तों पर बरसाती हैं.
मां दूर्गा की स्थापना के बाद उनके सभी रूपों की पूजा करने के बाद अंत में मां को नवमी के दिन विदा किया जाता है। इसके लिए कन्याओं को भोजन कराया जाता है। नौ छोटी- छोटी कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर उनको सूजी के हलूए और चने का प्रसाद बनाकर उनको भोजन कराया जाता है। इसके बाद उन्हें उपहार स्वरूप कुछ न कुछ अवश्य दिया जाता है। इसके बाद उनके पैर छुकर उनका आर्शीवाद प्राप्त किया जाता है। इस तरह से नवरात्रि की संपूर्ण विधि को संपन्न करने के बाद नवमी के दिन मां दूर्गा को विदा किया जाता है। कन्या पूजन के बिना नवरात्रि के व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए नवरात्रि में महानवमी के दिन कन्या पूजन को अधिक महत्व दिया गया है।
 8 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन किया जाएगा और साथ मे जो जवारे उगाई गई थी उनका भी विसर्जन होगा।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा

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