Dhanteras par kya kare, धनतेरस पर चल अचल संपत्ति खरीदने पर तेरह गुना वृद्धि होती है
धनतेरस पर चल अचल संपत्ति खरीदने पर तेरह गुना वृद्धि होती है
धनतेरस 5 दिवसीय दिवाली त्यौहार के शुरूआत का प्रतीक है। यह हिंदू महीने कार्तिक में तेरहवें दिन मनाई जाती है।
25 अक्टूबर शुक्रवार त्रियोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। त्रियोदशी तिथि कार्तिक माह के कृष्णपक्ष शुक्रवार 25 अकटुबर को शाम 07 : 08 बजे से प्रारंभ होकर 26 अक्टूबर शाम 03:46 बजे तक रहेगी।
25 अक्टूबर की सुबह द्वादशी तिथि और शाम को धनतेरस रहेगी। पंचांग भेद से 26 को रूप चौदस रहेगी।27 अक्टूबर को भी सुबह रूप चौदस रहेगी और प्रदोष कालीनअमावस्या रात में होने से दीपावली 27 को ही मनेगी
धनतेरस शुभ मुहूर्त
धनतेरस खरीददारी व पूजन मुर्हुत - 19:08 बजे से 20:13 बजे तक
प्रदोष काल - 17:38 से 20:13 बजे तक
वृषभ काल - 18:50 से 20:45 बजे तक रहेगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय महर्षि धन्वंतरि अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा प्रचलित हुई। यह भी माना जाता है कि धनतेरस के शुभावसर पर चल या अचल संपत्ति खरीदने से धन में तेरह गुणा वृद्धि होती है
बर्तन खरीदने की परंपरा को पूर्ण अवश्य किया जाना चाहिए। विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदे क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का अहम धातु है। इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है। व्यापारी इस विशेष दिन में नए बही-खाते खरीदते हैं जिनका पूजन वे दीवाली पर करते हैं।
धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी विशेष परंपरा है। चन्द्रमा का प्रतीक चाँदी मनुष्य को जीवन में शीतलता प्रदान करता है। चूंकि चाँदी कुबेर की धातु है, धनतेरस पर चाँदी खरीदने से घर में यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और संपदा की वृद्धि होती है।
संध्या में घर मुख्य द्वार पर और आँगन में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं और दीवाली का शुभारंभ होता है।
धनतेरस पूजा विधि
सबसे पहले शाम के समय स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें इसके बाद मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि भगवानजी का चित्र स्थापित करें।
इसके बाद चांदी या तांबे की चम्मच से जल का आचमन करें। भगवान गणेश का ध्यान और पूजन करें और हाथ में अक्षत लेकर भगवान धनवंतरी का ध्यान करें।
भगवान धनवंतरी को पंचामृत से स्नान करांए और रोली या चंदन से तिलक करें। पूजा स्थान पर अन्न की ढेरी जरूर बनाए।
भगवान धनवंतरी का ध्यान करते हुए भगवान धनवंतरी के मंत्रों का जाप करें।भगवान धनंवतरी को पुष्प अर्पित करें।फिर तीन बार धनवंतरी के चित्र या प्रतिमा पर इत्र का छिड़काव करें। भगवान धनवंतरी को वस्त्र और मोली अर्पित करें।अंत में मां लक्ष्मी, कुबेर, गणेश, मिट्टी के हाथी और धन्वंतरि जी सबका एक साथ पूजन करें। इसके बाद अपने घर के बाहर दोनों और एक -एक तेल का दीपक जलांए।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
धनतेरस 5 दिवसीय दिवाली त्यौहार के शुरूआत का प्रतीक है। यह हिंदू महीने कार्तिक में तेरहवें दिन मनाई जाती है।
25 अक्टूबर शुक्रवार त्रियोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। त्रियोदशी तिथि कार्तिक माह के कृष्णपक्ष शुक्रवार 25 अकटुबर को शाम 07 : 08 बजे से प्रारंभ होकर 26 अक्टूबर शाम 03:46 बजे तक रहेगी।
25 अक्टूबर की सुबह द्वादशी तिथि और शाम को धनतेरस रहेगी। पंचांग भेद से 26 को रूप चौदस रहेगी।27 अक्टूबर को भी सुबह रूप चौदस रहेगी और प्रदोष कालीनअमावस्या रात में होने से दीपावली 27 को ही मनेगी
धनतेरस शुभ मुहूर्त
धनतेरस खरीददारी व पूजन मुर्हुत - 19:08 बजे से 20:13 बजे तक
प्रदोष काल - 17:38 से 20:13 बजे तक
वृषभ काल - 18:50 से 20:45 बजे तक रहेगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय महर्षि धन्वंतरि अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा प्रचलित हुई। यह भी माना जाता है कि धनतेरस के शुभावसर पर चल या अचल संपत्ति खरीदने से धन में तेरह गुणा वृद्धि होती है
बर्तन खरीदने की परंपरा को पूर्ण अवश्य किया जाना चाहिए। विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदे क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का अहम धातु है। इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है। व्यापारी इस विशेष दिन में नए बही-खाते खरीदते हैं जिनका पूजन वे दीवाली पर करते हैं।
धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी विशेष परंपरा है। चन्द्रमा का प्रतीक चाँदी मनुष्य को जीवन में शीतलता प्रदान करता है। चूंकि चाँदी कुबेर की धातु है, धनतेरस पर चाँदी खरीदने से घर में यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और संपदा की वृद्धि होती है।
संध्या में घर मुख्य द्वार पर और आँगन में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं और दीवाली का शुभारंभ होता है।
धनतेरस पूजा विधि
सबसे पहले शाम के समय स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें इसके बाद मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि भगवानजी का चित्र स्थापित करें।
इसके बाद चांदी या तांबे की चम्मच से जल का आचमन करें। भगवान गणेश का ध्यान और पूजन करें और हाथ में अक्षत लेकर भगवान धनवंतरी का ध्यान करें।
भगवान धनवंतरी को पंचामृत से स्नान करांए और रोली या चंदन से तिलक करें। पूजा स्थान पर अन्न की ढेरी जरूर बनाए।
भगवान धनवंतरी का ध्यान करते हुए भगवान धनवंतरी के मंत्रों का जाप करें।भगवान धनंवतरी को पुष्प अर्पित करें।फिर तीन बार धनवंतरी के चित्र या प्रतिमा पर इत्र का छिड़काव करें। भगवान धनवंतरी को वस्त्र और मोली अर्पित करें।अंत में मां लक्ष्मी, कुबेर, गणेश, मिट्टी के हाथी और धन्वंतरि जी सबका एक साथ पूजन करें। इसके बाद अपने घर के बाहर दोनों और एक -एक तेल का दीपक जलांए।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
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