Sarv pitra amavas 20 वर्षो बाद सर्वपितृ अमावस्या व शनि अमावस्या का महासयोंग
20 वर्षो बाद सर्वपितृ अमावस्या व शनि अमावस्या का महासयोंग
इस साल पितृपक्ष अमावस्या 28 सितंबर शनिवार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के दिन है।
खास बात यह है कि दो दशक के बाद सर्व मोक्ष अमावस्या 28 सितंबर शनिवार को है। इस दिन का श्राद्धकर्म अनंत फलदायक होता है।
इसकी सबसे बड़ी वजह है पितृ पक्ष में इस अमावस्या का होना। सर्वपितृ अमावस्या के दिन ही शनि अमावस्या का महासंयोग बन रहा है जो कि बहुत ही सौभाग्यशाली है। इसी के साथ 28 सितंबर को गोचर में पंचग्रही योग बन रहा है। इस दिन कन्या राशि मे चंद्र ग्रह, मंगल, बुध, शुक्र व सूर्य ग्रह उपस्थित रहेंगे जो फलदायी होंगें।
हालांकि विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कहा जाता है कि जिस तिथि को दिवंगत आत्मा संसार से गमन करके गई थी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की उसी तिथि को पितृ शांति के लिये श्राद्ध कर्म किया जाता है। लेकिन समय के साथ कभी-कभी जाने-अंजाने हम उन तिथियों को भूल जाते हैं जिन तिथियों को हमारे प्रियजन हमें छोड़ कर चले जाते हैं।
इसलिये अपने पितरों का अलग-अलग श्राद्ध करने की बजाय सभी पितरों के लिये एक ही दिन श्राद्ध करने का विधान बताया गया। इसके लिये कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या का महत्व बताया गया है। समस्त पितरों का इस अमावस्या को श्राद्ध किये जाने को लेकर ही इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है।
इस अमावस्या को पितृ अपने प्रियजनों के द्वार पर श्राद्धादि की इच्छा लेकर आते हैं। यदि उन्हें पिंडदान न मिले तो शाप देकर चले जाते हैं जिसके फलस्वरूप घरेलू कलह बढ़ जाती है व सुख-समृद्धि में कमी आने लगती है और कार्य भी बिगड़ने लगते हैं। इसलिये श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिये
पितृ अमावस्या को श्राद्ध करने की विधि :-
सर्वपितृ अमावस्या को प्रात: स्नानादि के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिये। इसके पश्चात घर में श्राद्ध के लिये बनाये गये भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिये भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिये। इसके पश्चात श्रद्धापूर्वक पितरों से मंगल की कामना करनी चाहिये। ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को भोजन करवाना चाहिये व सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा भी देनी चाहिये। संध्या के समय अपनी क्षमता अनुसार दो, पांच अथवा सोलह दीप भी प्रज्जवलित करने चाहियें !
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
इस साल पितृपक्ष अमावस्या 28 सितंबर शनिवार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के दिन है।
खास बात यह है कि दो दशक के बाद सर्व मोक्ष अमावस्या 28 सितंबर शनिवार को है। इस दिन का श्राद्धकर्म अनंत फलदायक होता है।
इसकी सबसे बड़ी वजह है पितृ पक्ष में इस अमावस्या का होना। सर्वपितृ अमावस्या के दिन ही शनि अमावस्या का महासंयोग बन रहा है जो कि बहुत ही सौभाग्यशाली है। इसी के साथ 28 सितंबर को गोचर में पंचग्रही योग बन रहा है। इस दिन कन्या राशि मे चंद्र ग्रह, मंगल, बुध, शुक्र व सूर्य ग्रह उपस्थित रहेंगे जो फलदायी होंगें।
हालांकि विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कहा जाता है कि जिस तिथि को दिवंगत आत्मा संसार से गमन करके गई थी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की उसी तिथि को पितृ शांति के लिये श्राद्ध कर्म किया जाता है। लेकिन समय के साथ कभी-कभी जाने-अंजाने हम उन तिथियों को भूल जाते हैं जिन तिथियों को हमारे प्रियजन हमें छोड़ कर चले जाते हैं।
इसलिये अपने पितरों का अलग-अलग श्राद्ध करने की बजाय सभी पितरों के लिये एक ही दिन श्राद्ध करने का विधान बताया गया। इसके लिये कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या का महत्व बताया गया है। समस्त पितरों का इस अमावस्या को श्राद्ध किये जाने को लेकर ही इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है।
इस अमावस्या को पितृ अपने प्रियजनों के द्वार पर श्राद्धादि की इच्छा लेकर आते हैं। यदि उन्हें पिंडदान न मिले तो शाप देकर चले जाते हैं जिसके फलस्वरूप घरेलू कलह बढ़ जाती है व सुख-समृद्धि में कमी आने लगती है और कार्य भी बिगड़ने लगते हैं। इसलिये श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिये
पितृ अमावस्या को श्राद्ध करने की विधि :-
सर्वपितृ अमावस्या को प्रात: स्नानादि के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिये। इसके पश्चात घर में श्राद्ध के लिये बनाये गये भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिये भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिये। इसके पश्चात श्रद्धापूर्वक पितरों से मंगल की कामना करनी चाहिये। ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को भोजन करवाना चाहिये व सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा भी देनी चाहिये। संध्या के समय अपनी क्षमता अनुसार दो, पांच अथवा सोलह दीप भी प्रज्जवलित करने चाहियें !
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
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