जन्म अष्टमी 23 अगस्त को ही मनाई जाएगी। janm ashtmi
जन्म अष्टमी 23 अगस्त को ही मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 23 अगस्त को सुबह 8.09 बजे से 24 अगस्त को सुबह 8.32 बजे तक है। जबकि रोहिणी नक्षत्र जिसमें भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था वह 24 अगस्त को सुबह 3.48 बजे से शुरू होगा और ये 25 अगस्त को सुबह 4.17 बजे उतरेगा। जबकि कुछ ज्योतिषियों का ये भी मानना है कि रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त को रात 11.56 बजे से लग जाएगा।
इसलिए जन्म अष्टमी 23 अगस्त को ही मनाई जाएगी।
भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। अष्टमी को ही यह पर्व मनाया जाता है, यदि रोहिणी का संयोग मिल जाय तो और शुभ है।
मंथन यही किया जा रहा है कि ऐसा वक्त जब रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि दोनों एक साथ पड़े तो उत्तम 23 अगस्त की तारीख है। ऐसे में 23 अगस्त ही जन्माष्टमी मनाने के लिए शुभ होना चाहिए।
जन्माष्टमी का व्रत कैसे रखें?
जो भक्त जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं उन्हें एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए. जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भक्त व्रत का संकल्प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद पारण यानी कि व्रत खोल सकते हैं. कृष्ण की पूजा नीशीत काल यानी कि आधी रात को की जाती है।
जन्माष्टमी का महत्व
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्व है. यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था. देश के सभी राज्य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं.
इस दिन क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं. दिन भर घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन चलते रहते हैं. वहीं, मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं और स्कूलों में श्रीकृष्ण लीला का मंचन होता है।
Astro sunil chopra
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 23 अगस्त को सुबह 8.09 बजे से 24 अगस्त को सुबह 8.32 बजे तक है। जबकि रोहिणी नक्षत्र जिसमें भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था वह 24 अगस्त को सुबह 3.48 बजे से शुरू होगा और ये 25 अगस्त को सुबह 4.17 बजे उतरेगा। जबकि कुछ ज्योतिषियों का ये भी मानना है कि रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त को रात 11.56 बजे से लग जाएगा।
इसलिए जन्म अष्टमी 23 अगस्त को ही मनाई जाएगी।
भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। अष्टमी को ही यह पर्व मनाया जाता है, यदि रोहिणी का संयोग मिल जाय तो और शुभ है।
मंथन यही किया जा रहा है कि ऐसा वक्त जब रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि दोनों एक साथ पड़े तो उत्तम 23 अगस्त की तारीख है। ऐसे में 23 अगस्त ही जन्माष्टमी मनाने के लिए शुभ होना चाहिए।
जन्माष्टमी का व्रत कैसे रखें?
जो भक्त जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं उन्हें एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए. जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भक्त व्रत का संकल्प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद पारण यानी कि व्रत खोल सकते हैं. कृष्ण की पूजा नीशीत काल यानी कि आधी रात को की जाती है।
जन्माष्टमी का महत्व
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्व है. यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था. देश के सभी राज्य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं.
इस दिन क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं. दिन भर घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन चलते रहते हैं. वहीं, मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं और स्कूलों में श्रीकृष्ण लीला का मंचन होता है।
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