निर्जला एकादशी 13 जून रवि योग में मनेगी
निर्जला एकादशी कब मनाई जाएगी
गुरुवार 13 जून जयेष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि चित्रा नक्षत्र रवियोग में मनेगी। एकादशी तिथि 12 जून शाम 6:26 बजे से प्रारंभ होकर 13 जून शाम 4:49 बजे तक रहेगी।
निर्जला एकादशी वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते है। ऋषि वेदव्यास जी के अनुसार इस एकादशी को भीमसेन ने धारण किया था, इसी वजह से इस एकादशी का नाम भीमसेनी एकादशी पड़ा।
निर्जला एकादशी व्रत से लाभ
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की इस एकादशी को व्रत करने से वर्ष की 23 एकादशियो के व्रत के समान फल मिलता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से बाकी इस वर्ष की सभी 23 एकादशियो का पुण्य लाभ मिलता है तथा व्यक्ति को दीर्घायु व मोक्ष की प्राप्ति होती है। निर्जला अर्थात जल को बिना ग्रहण कर व्रत करना कहा जाता है। यह एक कठिन व्रत है जिसमे जल का सेवन नही किया जाता।
निर्जला एकादशी व्रत कैसे करे
इस व्रत में सबसे पहले ब्रह्मा बेल में उठकर गंगा स्नान या किसी भी नदी में स्नान करना चाहिए। उसके पश्चात भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है, तथा व्रत कथा को सुना जाता है। 108 बार "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप किया जाता है। पूजा पाठ के पश्चात सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को दक्षिणा मिष्ठान देना चाहिए। इस दिन गौ दान करने का विशेष महत्व है। जिससे करोड़ो गायों को दान करने के समान फल मिलता है। इस दिन खाली मटका, हाथ का पंखा व खरबूजों का दान किया जाता है। जिससे पूरे वर्ष की 23 एकादशियो का पुण्य फल इसी एक निर्जला एकादशी के व्रत व दान से मिलता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
गुरुवार 13 जून जयेष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि चित्रा नक्षत्र रवियोग में मनेगी। एकादशी तिथि 12 जून शाम 6:26 बजे से प्रारंभ होकर 13 जून शाम 4:49 बजे तक रहेगी।
निर्जला एकादशी वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते है। ऋषि वेदव्यास जी के अनुसार इस एकादशी को भीमसेन ने धारण किया था, इसी वजह से इस एकादशी का नाम भीमसेनी एकादशी पड़ा।
निर्जला एकादशी व्रत से लाभ
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की इस एकादशी को व्रत करने से वर्ष की 23 एकादशियो के व्रत के समान फल मिलता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से बाकी इस वर्ष की सभी 23 एकादशियो का पुण्य लाभ मिलता है तथा व्यक्ति को दीर्घायु व मोक्ष की प्राप्ति होती है। निर्जला अर्थात जल को बिना ग्रहण कर व्रत करना कहा जाता है। यह एक कठिन व्रत है जिसमे जल का सेवन नही किया जाता।
निर्जला एकादशी व्रत कैसे करे
इस व्रत में सबसे पहले ब्रह्मा बेल में उठकर गंगा स्नान या किसी भी नदी में स्नान करना चाहिए। उसके पश्चात भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है, तथा व्रत कथा को सुना जाता है। 108 बार "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप किया जाता है। पूजा पाठ के पश्चात सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को दक्षिणा मिष्ठान देना चाहिए। इस दिन गौ दान करने का विशेष महत्व है। जिससे करोड़ो गायों को दान करने के समान फल मिलता है। इस दिन खाली मटका, हाथ का पंखा व खरबूजों का दान किया जाता है। जिससे पूरे वर्ष की 23 एकादशियो का पुण्य फल इसी एक निर्जला एकादशी के व्रत व दान से मिलता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
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