हस्त नक्षत्र में मनेगा गंगा दशहरा
हस्त नक्षत्र में मनेगा गंगा दशहरा, दस योग के साथ अद्भुत सयोंग
गंगा दशहरा 12 जून ज्येष्ठ माह, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि बुधवार के दिन हस्त नक्षत्र, रवियोग, सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा।
दशमी तिथि दिनांक 11 जून को रात्रि 8 :19 बजे से प्रारंभ होकर 12 जून शाम 6 : 26 बजे तक रहेगी।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया गंगा दशहरा पर एक साथ दस योग पड़ रहे है। सोमवती अमावस पर 6 योग बने, और दशमी पर रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग, हस्त नक्षत्र, वरियान योग, गर करन, आनंद योग व सूर्य वृषभ राशि मे तथा चंद्र कन्या राशि मे इसी के साथ अगले दिन निर्जला एकादशी पर्व मनाया जाएगा।
वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास, शुक्लपक्ष, दशमी तिथि, बुधवार के दिन हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से धरती पर गंगा का अवतरण हुआ था। भगीरथ की तपस्या के पश्चात गंगा माता के धरती पर अवतरण को ही गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। इस दिन गंगा नदी में खड़े होकर दस डुबकी लगाने से दस प्रकार के पापो का नाश होता है। इन दस पापो में तीन पाप कायिक, चार पाप वाचिक, और तीन पाप मानसिक होते है। इन सभी से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।
गंगा स्नान के पश्चात व्यक्ति को पूजन कर दस प्रकार की वस्तुओं का दान करना चाहिए। जिसमें जौ और तिल सोलह मुठी होना चाहिये। उसके पश्चात दस ब्रह्मिनो को दक्षिणा देनी चाहिए। जो व्यक्ति गंगा में स्नान के लिए नही जा सकते वे किसी भी नदी में स्नान कर पूजा कर सकते है अन्यथा घर मे पानी मे गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
गंगा दशहरा 12 जून ज्येष्ठ माह, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि बुधवार के दिन हस्त नक्षत्र, रवियोग, सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा।
दशमी तिथि दिनांक 11 जून को रात्रि 8 :19 बजे से प्रारंभ होकर 12 जून शाम 6 : 26 बजे तक रहेगी।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया गंगा दशहरा पर एक साथ दस योग पड़ रहे है। सोमवती अमावस पर 6 योग बने, और दशमी पर रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग, हस्त नक्षत्र, वरियान योग, गर करन, आनंद योग व सूर्य वृषभ राशि मे तथा चंद्र कन्या राशि मे इसी के साथ अगले दिन निर्जला एकादशी पर्व मनाया जाएगा।
वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास, शुक्लपक्ष, दशमी तिथि, बुधवार के दिन हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से धरती पर गंगा का अवतरण हुआ था। भगीरथ की तपस्या के पश्चात गंगा माता के धरती पर अवतरण को ही गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। इस दिन गंगा नदी में खड़े होकर दस डुबकी लगाने से दस प्रकार के पापो का नाश होता है। इन दस पापो में तीन पाप कायिक, चार पाप वाचिक, और तीन पाप मानसिक होते है। इन सभी से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।
गंगा स्नान के पश्चात व्यक्ति को पूजन कर दस प्रकार की वस्तुओं का दान करना चाहिए। जिसमें जौ और तिल सोलह मुठी होना चाहिये। उसके पश्चात दस ब्रह्मिनो को दक्षिणा देनी चाहिए। जो व्यक्ति गंगा में स्नान के लिए नही जा सकते वे किसी भी नदी में स्नान कर पूजा कर सकते है अन्यथा घर मे पानी मे गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
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