बुद्ध पूर्णिमा पर बनेगा सम सप्तक राजयोग


18 मई शनिवार, बैशाख माह, शुक्लपक्ष, पूर्णिमा तिथि, विशाखा नक्षत्र में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जायेगी। पूर्णिमा तिथि 18 मई को सुबह 4:10 बजे से प्रारम्भ होकर 19 मई सुबह 2:41 बजे तक रहेगी।
 इस बार बुद्ध पूर्णिमा पर सम सप्तक राजयोग बन रहा है। पूर्णिमा तिथि पर देव गुरु बृहस्पति व नवग्रहों के राजा सूर्यदेव आमने सामने रहेंगे। इस योग से सभी कार्यो में स्थायित्व के साथ प्रगति मिलेगी। बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे बड़ा दिन माना जाता है।

         मान्यता है कि भगवान विष्णु ने अपना 9 वां अवतार इस दिन भगवान बुद्ध के रूप में लिया था। इसलिए ये दिन बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। विश्वभर में बुद्ध के अनुयायी इस दिन को बुद्ध जयंती के रूप में मनाते है। इस बुद्ध पूर्णिमा को गौतम बुद्ध की 2581 वीं जयंती मनाई जाएगी।
     ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की बैशाख की बुध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से जन्मो-जन्मो के पापों से मुक्ति मिलती है, और जीवन मे सुख शांति का संचार होता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए। उन्हें अन्न,गुड़, फूल, धूप, दीप व जल चड़ाकर पूजा करके जल से भरा घड़ा और पकवान ब्राहमण को दान में देना शुभ माना जाता है।
गौतम बुद्ध ने विश्वशांति स्थापित की

मान्यताओ के अनुसार भगवान बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था। बैशाख पूर्णिमा के दिन राजकुमार सिद्धार्थ का जन्म लुम्बिनी में हुआ था। राजकुमार सिद्धार्थ कपिलवस्तु के राजकुमार थे। उनकी माता का नाम महामाया और पिता का नाम शुधोदन था। भगवान बुद्ध ने शांति की खोज में 27 वर्ष की आयु में घर-परिवार , राजपाठ सब छोड़ दिया था। काशी के समीप सारनाथ में भगवान बुद्ध ने धर्म परिवर्तन किया था। जहाँ उन्होंने बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे कई सालों तक कठोर तप किया। उनकी इस कठोर तपस्या के बाद सिद्धार्थ को बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई। वह महान सन्यासी गौतम बुद्ध के नाम से प्रचलित हुए, और विश्व को शांति का उपदेश देकर शांति स्थापित की।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा

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