शनि जयंती पर वक्री शनि देव देंगे शनि दोष से मुक्ति
शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या 3 जून सोमवार
रोहणी नक्षत्र, सुक्रमा योग में मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 2 जून सायं 4:39 से प्रारंभ होकर 3 जून सायं 3:31 बजे तक रहेगी।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया इस बार शनि जयंती सोमवार सोमवती अमावस्या का विशेष योग बन रहा है। जो कि 4 वर्ष पहले 18 मई 2015 को बना था। शनि जयंती का पर्व सोमवार को होने से भगवान शिव व शनिदेव दोनो की प्रसन्नता के लिए उपाय कर सकते है। इस दिन भगवान शिव की साधना व शनिदेव की आराधना करने से मानसिक शांति ढय्या व साढेसाती से प्रभावित जातको को राहत मिलेगी।
इसी के साथ इन दिनों शनि भी वक्री गति से चलने के कारण जो लोग शनि दोष से पीड़ित है उन्हे शनि जयंती पर शनि की पूजा व व्रत करने से शनि दोष से मुक्ति मिलेगी।
शनि देव मकर व कुम्भ राशि के अधिपति है। इस समय धनु राशि मे विद्यमान है जिससे वृश्चिक राशि, धनु राशि, मकर राशि, वृषभ राशि व कन्या राशि वाले जातकों को शनि जयंती पर व्रत व शनि पूजा से अधिक लाभ होगा।
शनि देव को प्रसन्न कैसे करे
शनि जयंती पर शनि की प्रिय वस्तुओं का दान करना चाहिये, जैसे काला कपड़ा, काली सबूत उडद की दाल, छाता, जूता, लोहे की वस्तुएं व सरसो का तेल आदि दान करने से शनि देव प्रसन्न होते है और इनकी वक्री गति के अशुभ फलों से छुटकारा मिलता है एवं शनि दोषो से मुक्ति मिलती है।
शनि जयंती पर शनि के मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का कम से कम एक माला जाप जरूर करे। गरीब व निःशक्त लोगो को भोजन कराना व कुष्ठ रोगियों को उडद की दाल के मंगोड़े, कचोड़ी का दान देना चाहिए जिससे शनिदेव प्रसन्न होते है।
शनि जयंती पर शनि पूजा विधि
शनि जयंती के दिन उपवास रखा जाता है। प्रातःकाल नित्यकर्म के पश्चात स्नानादि से स्वच्छ होकर, एक लकड़ी के पाट पर साफ सुथरे काले कपड़े को बिछाये, इस पर शनि देव की तस्वीर या एक सुपारी रखकर उसके आसपास सरसो के तेल के दीपक व धूपबत्ती जलाये। सिंदूर, काजल व नीले फूल शनि देव को अर्पित करे। इमरती, काले तिल, उडद की दाल व सरसो का तेल अर्पित करे। पूजन के पश्चात शनि मंत्र की एक माला का जप करे व शनि चालीसा का पाठ करे। फिर शनिदेव की आरती उतारकर पूजा सम्पन्न करे।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
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