chaitra Navratri par 9 sanyog
चैत्र नवरात्रि पर नो दिंनो में नो सयोंग
6 अप्रेल शनिवार, शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन सुबह 6 बजकर 9 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट के बीच घट स्थापना का शुभ मुहूर्त होगा।
चैत्र मास हिन्दू पंचांग के अनुसार 6 अप्रेल को साल का नया वर्ष हिन्दू संवत्सर 2076 शुरू होगा। जिसमें ज्योतिषगण नव वर्ष के पंचांग का पूजन करेंगे। नव संवत्सर एवम् नवरात्र का योग शुभता लाता है। इस दिन पूजा अर्चना और दान का विशेष महत्व है। इसलिए अपने किसी भी शुभ व नए काम की शुरुआत करने के लिए नवरात्रि के नो दिन बहुत अच्छे माने गए है, जिसमे ग्रह प्रवेश, फैक्टरी, ऑफिस खोलना, नए वाहन खरीदना इत्यादि कार्य किये जा सकते है।
इस वर्ष नवरात्रि के नो दिनों में 9 शुभ सयोंग बन रहे है। जिसमे तीन सर्वार्थसिद्धि योग, रवि योग, रवि पुष्य योग रहेंगे। ऐसे शुभ सयोंग में नवरात्रि पर देवी की उपासना करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।
6 अप्रेल प्रतिपदा - घट स्थापना रेवती नक्षत्र में शैलपुत्री माता पूजा।
7 अप्रेल द्वितीया - सर्वार्थसिद्धि योग ब्रह्मचारिणी माता पूजा।
8 अप्रेल तृतिया - कार्य सिद्धि रवि योग चंद्रघटा माता पूजा ।
9 अप्रेल चतुर्थी - सर्वार्थसिद्धि योग कुष्मांडा माता पूजा ।
10 अप्रेल पंचमी - लक्ष्मी पंचमी योग स्कंदमाता पूजा।
11 अप्रेल षष्टी - रवियोग कात्यानी माता पूजा।
12 अप्रेल सप्तमी - सर्वार्थसिद्धि योग कालरात्रि माता पूजा।
13 अप्रेल अष्टमी - स्मार्त मतानुसार महागौरी माता पूजा।
14 अप्रेल नवमी - रवि पुष्य सिद्धिदात्री माता पूजा।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
6 अप्रेल शनिवार, शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन सुबह 6 बजकर 9 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट के बीच घट स्थापना का शुभ मुहूर्त होगा।
चैत्र मास हिन्दू पंचांग के अनुसार 6 अप्रेल को साल का नया वर्ष हिन्दू संवत्सर 2076 शुरू होगा। जिसमें ज्योतिषगण नव वर्ष के पंचांग का पूजन करेंगे। नव संवत्सर एवम् नवरात्र का योग शुभता लाता है। इस दिन पूजा अर्चना और दान का विशेष महत्व है। इसलिए अपने किसी भी शुभ व नए काम की शुरुआत करने के लिए नवरात्रि के नो दिन बहुत अच्छे माने गए है, जिसमे ग्रह प्रवेश, फैक्टरी, ऑफिस खोलना, नए वाहन खरीदना इत्यादि कार्य किये जा सकते है।
इस वर्ष नवरात्रि के नो दिनों में 9 शुभ सयोंग बन रहे है। जिसमे तीन सर्वार्थसिद्धि योग, रवि योग, रवि पुष्य योग रहेंगे। ऐसे शुभ सयोंग में नवरात्रि पर देवी की उपासना करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।
6 अप्रेल प्रतिपदा - घट स्थापना रेवती नक्षत्र में शैलपुत्री माता पूजा।
7 अप्रेल द्वितीया - सर्वार्थसिद्धि योग ब्रह्मचारिणी माता पूजा।
8 अप्रेल तृतिया - कार्य सिद्धि रवि योग चंद्रघटा माता पूजा ।
9 अप्रेल चतुर्थी - सर्वार्थसिद्धि योग कुष्मांडा माता पूजा ।
10 अप्रेल पंचमी - लक्ष्मी पंचमी योग स्कंदमाता पूजा।
11 अप्रेल षष्टी - रवियोग कात्यानी माता पूजा।
12 अप्रेल सप्तमी - सर्वार्थसिद्धि योग कालरात्रि माता पूजा।
13 अप्रेल अष्टमी - स्मार्त मतानुसार महागौरी माता पूजा।
14 अप्रेल नवमी - रवि पुष्य सिद्धिदात्री माता पूजा।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
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