कालभैरव अष्टमी 3 मार्च 2024 को मनेगी
**कालाष्टमी आज 3 मार्च को मनेगी, पूजा से राहु व शनि के कष्टों से मिलेगी मुक्ति*
कालाष्टमी आज 3 मार्च रविवार को मनाई जाएगी। भगवान काल भैरव को शिव जी उग्र स्वरूप माना गया है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि यह दिन भगवान काल भैरव की पूजा के लिए समर्पित है।
कालाष्टमी हिंदुओं में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा का विधान है। भगवान काल भैरव भगवान शिव का उग्र स्वरूप हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग पूरे समर्पण और भाव के साथ उनकी पूजा करते हैं, वे उन्हें हमेशा हर बुरी ऊर्जा से बचाते हैं।काल भैरव की अत्यधिक भक्ति के साथ पूजा करने से भक्तों की असामयिक मृत्यु से रक्षा होती है और शनि और राहु के दुष्प्रभाव से बचाव होता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति अपनी कुंडली में शत्रुओं और ग्रह पीड़ाओं से उत्पन्न बाधाओं को दूर कर सकता है।
काल भैरव जी की आराधना उन जातकों को करने की सलाह दी जाती है, जो किसी भी प्रकार के काले जादू, बुरी नजर के प्रभाव और नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित हैं। बाबा काल भैरव की पूजा करने से तंत्र और मंत्र की सिद्धि होती है। इसके लिए काल भैरव की पूजा निशिता मुहूर्त में की जाती है।
*कालाष्टमी पूजा मुहूर्त*
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 3 मार्च को सुबह 08 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 4 मार्च को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी।
निशिता काल पूजा मुहूर्त- 3 मार्च को देर रात 12 बजकर 8 मिनट से रात के 1 बजकर 1 मिनट तक रहेगा।
*कालाष्टमी पूजा विधि,अनुष्ठान*
सुबह जल्दी उठें और पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले स्नान करें। उन्हें भगवान की पूजा करने से पहले पूजा कक्ष को साफ करना चाहिए। फिर एक लकड़ी का तख्ता लें और उसमें भगवान काल भैरव की मूर्ति या फोटो रखें। सरसों के तेल का दीया जलाएं और काल भैरव अष्टकम का पाठ करें। भक्त किसी भी तामसिक गतिविधि में शामिल हुए बिना व्रत रखने का संकल्प ले। और मीठा रोट, उडद की दाल के मंगोड़े,इमारती भोग प्रसाद चढ़ाते हैं और मंदिर में सरसों के तेल के साथ पांच मुख वाला दीया जलाना चाहिए और काल भैरव आरती का जाप करना चाहिए। शाम को भक्त सात्विक भोजन से अपना व्रत तोड़ सकते हैं। इस दिन दान करना विशेष रूप से विकलांग लोगों के लिए पुण्यदायी माना जाता है।
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