shanichri amavasya 27 August 2022
*शनिचरी अमावस शिव योग व पद्म योग में 27 को पड़ेगी*
भाद्रपद महीने में पड़ने वाली शनि अमावस्या 27 अगस्त को पड़ेगी। यह इस साल की अंतिम शनि अमावस्या होगी।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस शनैश्चरी अमावस्या के दिन दो बहुत ही दुर्लभ योगों शिव योग और पद्म योग का निर्माण हो रहा है।
शनि अमावस पर बोहरापुर नवग्रह मंदिर व जीवाजीगंज नवग्रह मंदिर पर भक्तों का मेला लगेगा। और ग्वालियर के पास बामौर के ऐति मंदिर पर भक्त गण दर्शन करने दूर दूर से आते है।
भाद्रपद अमावस्या तिथि की शुरुआत शुक्रवार, 26 अगस्त को दोपहर 12:23 बजे से होगी और इसका समापन शनिवार, 27 अगस्त 2022 को दोपहर 01:46 बजे होगा।
अमावस्या तिथि के दिन शनिदेव की उपासना के साथ-साथ पितृ तर्पण, पिंड दान आदि करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
मान्यता है कि यह दिन पितृ दोष, काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए भी खास होता है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना गया है। ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि की महादशा से पीड़ित राशियों के लिए खास माना गया है। जिन जातकों की साढ़ेसाती व ढईया चल रहा है उन्हें इस दिन पूजा करने से लाभ मिलता है।
*शनिचरी अमावस पर शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय*
शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित जातक शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए शनिचरी अमावस्या के दिन सरसों के तेल से शनिदेव की पूजा करें। इसके साथ ही काली उड़द दाल से बनी इमरती प्रसाद के रूप में अर्पित करें।
शनिचरी अमावस्या के दिन पहले यानी शुक्रवार को सवा पाव काली उड़द की दाल को एक कपड़े में बांध लें। इस पोटली को अपने पास रात में रखकर सो जाएं। ध्यान रहे कि आप अकेले ही सोएं। शनिचरी अमावस्या के दिन इस दाल की पोटली को किसी शनि मंदिर में रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
शनिचरी अमावस्या के दिन एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर दें या शनि मंदिर में कटोरी सहित तेल रखकर आएं। इसके साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। मान्यता है कि यह उपाय कम से कम पांच शनिवार करने से शनिदोष में लाभ मिलता है।
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