mitti ke ganpati kare sthapit
*मिट्टी के गणपति विराजमान करना शास्त्रसम्मत*
गणेश चतुर्थी पर मिट्टी के गणेश ही स्थापित करने चाहिए।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि मिट्टी की मूर्ति में पंचतत्व होते हैं इसलिए पुराणों में भी ऐसी प्रतिमा की पूजा का ही विधान बताया गया है।
ग्रंथों में मिट्टी को पवित्र माना गया है। जानकारों का कहना है कि कलयुग में मिट्टी की प्रतिमा को ही ज्यादा महत्व बताया गया है। ऐसी मूर्ति में भगवान गणेश के आवाहन और पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शिवपुराण का कहना है कि देवी पार्वती ने पुत्र की इच्छा से मिट्टी का ही पुतला बनाया था, फिर शिवजी ने उसमें प्राण डाले थे। वो ही भगवान गणेश थे। शिव महापुराण में धातु की बजाय पार्थिव और मिट्टी की मूर्ति को ही महत्व दिया है। मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा करने से कई यज्ञों का फल मिलता है।
केमिकल से बनी या प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तिपूजा शास्त्रसम्मत नही है। इन मूर्तियों का विसर्जन करने पर नदियों, समुद्र और नहरों में न जाने कितना ही प्रदूषण हम अनजाने में फैला देते हैं।पर्यावारण को ध्यान में रखते हुए इस बार इको फ्रेंडली गणेशा को घर लाने का विचार करे।
घर पर ही आसानी से मिट्टी के गजानन का निर्माण भी किया जा सकता है और इन्हें रोली, हल्दी और गुलाल आदि से रंग भी सकते हैं। इनका विसर्जन गमलों में या बगीचे में कर सकते है।
ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि घर में 12 अंगुल यानी तकरीबन 7 से 9 इंच तक की मूर्ति स्थापित करना चाहिए।
*मिट्टी के गणेश की मूर्ति बनाकर करे पूजा*
- गणेश चतुर्थी की सुबह स्नान आदि करने के बाद नदी की साफ मिट्टी लाएं और किसी छोटी बालिका से उस मिट्टी को गुंथवा लें।
- इसके बाद स्वयं उस मिट्टी से गणेशजी की मूर्ति बनाएं और उस पर शुद्ध घी एवं सिंदूर से चोला चढ़ा दें व जनेऊ भी धारण करवाएं।
- मूर्ति के सामने प्रार्थना करें कि- हे श्रीगणेश। आप इस मूर्ति में स्थापित हों। मूर्ति को धूप-दीप दिखाएं व पांच लाल रंग के फूल अर्पित करें।
- इसके बाद पांच लड्डुओं का भोग लगाएं। गणेश उत्सव के दौरान रोज सुबह-शाम इस मिट्टी की प्रतिमा की पूजा पूरी श्रद्धा से करें।
- अनंत चतुर्दशी पर इस मूर्ति का विसर्जन नदी में कर दें। इस उपाय से श्रीगणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
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