chaitra navratri 13 april 2021

*चैत्र नवरात्रि कल, माता का घोड़े पर आना देश के लिए अशुभता का प्रतीक*
इस साल चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल मंगलवार से शुरू हो रही है, जो कि पूरे 9 दिन तक चलेगी अर्थात 22 अप्रैल  को इसका समापन होगा। इस बार माता घोड़े पर सवार होकर आएगी।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि नवरात्रि में 9 दिन मां दुर्गा धरती पर रहती हैं, इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पूजा पहले दिन घटस्थापना से शुरू की जाती है और नवें दिन पूर्णाहुति करने के बाद समाप्त होती है।इस बार सर्वार्थसिद्धि योग  सुबह 5:58 से दोपहर 2:20 तक रहेगा। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 13 अप्रैल मंगलवार सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।
नवरात्रि के नौ दिन माता दुर्गा की उपासना करने के लिए बहुत खास माने जाते हैं। नवरात्रि नौं दिनों तक मां के 9 स्वरूपों शैलपुत्री माता, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
*घोड़े पर माता का आना अशुभ*
भगवत पुराण के अनुसार जब माता घोड़े पर सवार होकर आती है तब इसका असर प्रकृति, देश व सत्ता के लिए अशुभ माना जाता है। घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना गया है। माता का घोड़े पर आगमन अशुभ माना गया है।
पिछले साल भी माता घोड़े पर सवार होकर आईं थीं जिसका परिणाम स्वरूप पूरे साल देश की राजनीति में उथल-पुथल मची रही। देश को कई विकट स्थितियों का सामना करना पड़ा। देश के कई भागों में प्राकृतिक आपदा के कारण जान-माल का नुकसान हुआ। संक्रमण फैला रहा। इस बार भी कोविड का दूसरा दौर जौरो पर बना हुआ है।
*चैत्र नवरात्रि घटस्थापना के लिए पूजन  सामग्री व विधि*
चौड़े मुंह वाला मिट्टी का बर्तन व तांबे का कलश, 7 प्रकार के अनाज, पवित्र स्थान की मिट्टी,  गंगाजल, कलावा/मौली, आम या अशोक के पत्ते, जटा वाला, नारियल, सुपारी, अक्षत (कच्चा साबुत चावल), पुष्प और पुष्पमाला, लाल कपड़ा, मिठाई, सिंदूर, दूर्वा इत्यादि।
सबसे पहले मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में सप्तधान्य बोएं।
उसके पश्चात उस पर कलश में जल भरें और  कलावा बांधें।आम या अशोक के पत्तों को कलश के ऊपर रखें। उसके बाद नारियल में कलावा लपेटे। नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखें। घटस्थापना पूरी होने के पश्चात् मां दुर्गा का आह्वान करें।
*माता के स्वरूपो की पूजा किस-किस दिन*
13 अप्रैल मंगलवार , प्रतिपदा तिथि नवरात्रि का पहला दिन: इस दिन घटस्थापना व माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। 
14 अप्रेल बुधवार, नवरात्रि का दूसरा दिन: इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी माँ दुर्गा का ही रूप हैं। 
15 अप्रैल गुरुवार, नवरात्रि का तीसरे दिन: इस दिन की देवी माँ चंद्रघण्टा हैं।
16 अप्रैल शुक्रवार, नवरात्रि का चौथा दिन: इस दिन माँ कुष्माण्डा की पूजा का विधान है। 
17 अप्रैल शनिवार, नवरात्रि का पांचवां दिन: इस दिन माँ स्कंदमाता की पूजा होती है।
18 अप्रैल रविवार,नवरात्रि के छठा दिन: इस दिन माँ कात्यायिनी की पूजा की जाएगी। 
19 अप्रैल सोमवार, नवरात्रि का सातवां दिन: इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है।
20 अप्रैल मंगलवार नवरात्रि का आठवां दिन: इस दिन माँ महागौरी की अराधना की जाती है। 
21 अप्रैल बुधवार, नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन: ये दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। ऐसा मान्यता है कि जो कोई माँ के इस रूप की आराधना करता है उसे सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। इसी दिन व्रत पूर्ण कर घरों में कन्याये बिठाई जाती है। उन्हें उपहार दिए जाते है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा

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