shardiya navratri 17 october se 25 october 2020
Navratri 2020: अमूमन हर साल पितृ पक्ष याने श्राद्घ समाप्ति के अगले ही दिन से नवरात्रि उत्सव शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार यह पर्व पितृ पक्ष समाप्ति के एक माह बाद शुरू होगा। पं. मनीष शास्त्री के अनुसार, इस बार श्राद्घ पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग गया है। यानी नवरात्र व पितृ पक्ष के बीच एक महीने का अंतर आया है। आश्विन मास में मलमास लगने व एक महीने के अंतर पर नवरात्रारंभ का संयोग 165 साल पहले बना था।
जानिए कब से शुरू होगी नवरात्रि
नवरात्रि के दौरान घटस्थापना किया जाता है। घट स्थापना, कलश स्थापना को कहते हैं
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त:
शारदीय नवरात्रों का आरंभ 17 अक्टूबर, आश्चिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होगी। दुर्गा पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है। घट स्थापना मुहूर्त का समय शनिवार, अक्टूबर 17, 2020 को प्रात:काल 06:27 से 10:13 तक है। घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 से 12:29 तक रहेगा।
घट स्थापना की विधि:
नवरात्रि के प्रथम दिन ही घटस्थापना की जाती है। इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। इसके लिए कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होती है।
जल से भरा हुआ पीतल, चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश, पानी वाला नारियल, रोली या कुमकुम, आम के 5 पत्ते, नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा या चुनरी, लाल सूत्र/मौली, साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के, कलश ढकने के लिए ढक्कन और जौ
मां दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित किया जाना चाहिए। जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है वहां पर किसी बर्तन के अन्दर मिट्टी भरकर रखें या फिर ऐसे ही जमीन पर मिट्टी का ढेर बनाकर उसे जमा दें। यह मिट्टी का ढेर ऐसे बनाएं कि उस पर कलश रखने के बाद भी कुछ जगह बाकी रह जाए। कलश के ऊपर रोली अथवा कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद कलश पर मौली बांध दें। इसके बाद कलश में थोड़ा गंगाजल डालें और बाकी शुद्ध पीने के पानी से कलश को भर दें। जल से भरे कलश के अंदर थोड़े से अक्षत (चावल), 2-4 दूर्वा घास, साबुत सुपारी, और 1 या दो रुपये का सिक्का डालकर चारों ओर आम के 4-5 पत्ते लगा दें। फिर मिट्टी या धातु के बने ढक्कन से कलश को ढक दें। इस ढक्कन पर भी स्वस्तिक बनाएं
इस ढक्कन पर आपको स्वस्तिक बनाना होगा। फिर उस ढक्कन पर थोड़े चावल रखने होंगे। फिर एक नारियल पर लाल रंग की चुनरी लपेटें। इसे तिलक करें और स्वस्तिक बनाएं। नारियल को ढक्कन के ऊपर चावल के ढेर के ऊपर रख दें। नारियल का मुख हमेशा अपनी ओर ही रखे चाहे आप किसी भी दिशा की ओर मुख करके पूजा करते हों। दीपक का मुख पूर्व दिशा की ओर रखें। अगर शारदीय नवरात्र व्रत हो तो कलश के नीचे बची जगह पर अथवा ठीक सामने जौं बोने अच्छे होते हैं
जानें कब है विजय दशमी
अधिकमास समाप्त होने के बाद नवरात्र 17 अक्टूबर को शुरू हो जाएगा. .
नवरात्रि दिन 1: प्रतिपदा माँ शैलपुत्री पूजा घटस्थापना 17 अक्टूबर 202 (शनिवार)
नवरात्रि दिन 2: द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा 18 अक्टूबर 202 (रविवार)
नवरात्रि दिन 3: तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा 19 अक्टूबर 2020 (सोमवार)
नवरात्रि दिन 4: चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा 20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार)
नवरात्रि दिन 5: पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा 21 अक्टूबर 2020 (बुधवार)
नवरात्रि दिन 6: षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा 22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार)
नवरात्रि दिन 7: सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा 23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार)
नवरात्रि दिन 8: अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा 24 अक्टूबर 2020 (शनिवार)
नवरात्रि दिन 9: नवमी माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा विजय दशमी 25 अक्टूबर 2020 (रविवार)
नवरात्रि दिन 10: दशमी दुर्गा विसर्जन 26 अक्टूबर 2020 (सोमवार
विजय दशमी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस बार नौ दिनों में ही दस दिनों के पर्व पूरा हो जाएगा. इसका कारण तिथियों का उतार चढ़ाव है. 24 अक्तूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी लग जाएगी. दो तिथियां एक ही दिन पड़ रही है,
इसलिए अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन होगी. जबकि नवमी के दिन सुबह 7 बजकर 41 मिनट के बाद दशमी तिथि लग जाएगी. इस कारण दशहरा पर्व और अपराजिता पूजन एक ही दिन आयोजित होंगे. कुल मिलाकर 17 से 25 अक्टूबर के बीच नौ दिनों में दस पर्व संपन्न हो रहे हैं
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