Purushottam maas 18 september se shuru hoga.
*अधिक मास में 9 सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि व रवि पुष्य शुभ योग बनेंगे*
18सितंबर शुक्रवार उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र शुक्ल योग में पुरुषोत्तम मास प्रारम्भ होने जा रहा है। जिसे अधिकमास भी कहते है यह 16 अकटुबर शुक्रवार तक रहेगा। इस मास में 14 दिन शुभ योग रहेंगे। जिसमे 9 दिन सर्वार्थसिद्धि योग, 2 दिन द्विपुष्कर योग, 1 दिन अमृतसिद्धि योग एवं 1 दिन रवि पुष्य नक्षत्र रहेगा।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि पुरुषोत्तम मास में उपवास, पूजा पाठ, यज्ञ,हवन श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण आदि का मनन विशेष रूप से फलदायी होता है। अधिकमास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु है, इसलिए इस पूरे समय मे विष्णु मंत्रो का जाप विशेष लाभकारी होता है।
कहा जाता है कि भारतीय मनीषियों ने अपनी गणना पद्धति से हर चंद्र मास के लिए एक देवता निर्धारित किए। चूंकि अधिकमास सूर्य और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रकट हुआ तो इस अतिरिक्त मास का अधिपति बनने के लिए कोई देवता तैयार ना हुआ। ऐसे में ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे ही इस मास का भार अपने ऊपर लें। भगवान विष्णु ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और इस तरह यह मल मास के साथ पुरुषोत्तम मास भी बन गया
*तीन साल में एक बार क्यों आता है अधिक मास*
भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास का नाम दिया गया है
*क्यों कहते हैं पुरुषोत्तम मास*
हिंदू धर्म में अधिकमास के दौरान सभी पवित्र कर्म वर्जित माने गए हैं। माना जाता है कि अतिरिक्त होने के कारण यह मास मलिन होता है। इसलिए इस मास के दौरान हिंदू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और सामान्य धार्मिक संस्कार जैसे गृहप्रवेश, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदी आदि आमतौर पर नहीं किए जाते हैं। मलिन मानने के कारण ही इस मास का नाम मल मास पड़ गया है
*अधिकमास में कोनसा शुभयोग व उनके फल*
18 सितंबर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र व शुक्ल योग होने के कारण ये दिन शुभ रहेगा।
सर्वार्थसिद्धि योग 26 सितंबर, 1,2,4,6,7,9,11 एवम 17 अकटुबर को होने के कारण ये योग मनोकामना पूर्ण करने वाला एवं प्रत्येक कार्य मे सफलता देने वाला होता है।
द्विपुष्कर योग ज्योतिष में बहुत खास माना जाता है। इस दिन किसी भी काम का दोगुना फल मिलता है। ये योग 19 एवं 27 सितंबर को रहेगा।
अमृतसिद्धि योग के बारे में मान्यता है कि इस योग में किये कार्य शुभ फल दीर्घकालीन तक होता है। जो की 2 अकटुबर को रहेगा।
पुष्य नक्षत्र अधिकमास में शनि पुष्य नक्षत्र 10 अकटुबर को सायं 6:17 बजे से प्रारंभ होगा। रवि पुष्य नक्षत्र 11 अकटुबर को रहेगा। यह ऐसा दिन है जब कोई भी आवश्यक शुभ कार्य किया जा सकता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा
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