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Showing posts from September, 2019

सर्वपितृ मोक्ष अमावस पर बनेगा पंचग्रही योग, panch grahi yog on amavas

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सर्वपितृ मोक्ष अमावस पर बनेगा पंचग्रही योग इस वर्ष पितृपक्ष की अमावस्या तिथि 28 सितंबर शनिवार पर मोक्ष अमावस्या का योग बन रहा है। इस तिथि पर जल तर्पण से पितृ न सिर्फ तृप्त होंगे अपितु उनके आशीर्वाद से सफलता और समृद्धि के द्वार भी खुलेंगे। यह सुयोग सौ बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला भी है। 28 सितंबर को शनिवार और सर्वपितृ अमावस्या का सुयोग इसे मोक्ष अमावस्या की श्रेणी प्रदान कर रहा है। उसी दिन धृति योग भी बन रहा है। धृति योग के स्वामी जल देवता हैं इसलिए उस दिन पितरों का जल से तर्पण विशेष महत्व और प्रभाव वाला होगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की इस सर्वपितृ अमावस पर पंचग्रही योग बन रहा है। 28 सितंबर को कन्या राशि मे सूर्य, चंद्र, मंगल,बुध व शुक्र ग्रह एक साथ होंगे।  अमूमन बनने वाले पंचग्रही योग शुभ होते ज्योतिषियों का मत है कि पंचग्रही योग यदि शुभ ग्रहों से बने तो यह काफी लाभदायक साबित होता है।  जिस भी जातक के कुंडली में यह संयोग बनता है। वह जीवन में कई सफलताओं को हासिल करने में सफल होता है। उसे मान सम्मान के साथ ही धन लाभ भी होता है। करियर में भी बढ़ोतरी होती है...

shardiya Navratri, शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से 9 दिनों की रहेगी

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शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से 9 दिनों की रहेगी शारदीय नवरात्र में इस वर्ष देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर और वापसी घोड़े पर होगी। देवी का आगमन आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर 29 सितंबर को होगा और विदाई दशमी तिथि पर आठ अकटुबर को होगी।  इस वर्ष नवरात्र पूरे नौ दिन का होगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की  पहले दिन यानी 29 सितंबर को विधि विधान से घट स्थापना होगी। उसके बाद से नवरात्रि के व्रत प्रारंभ होंगे। इन 9 दिनों में माता के 9 स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस बार दशहरा  08 अक्टूबर को है। 29 सितंबर- प्रतिपदा - पहला दिन, घट या कलश स्थापना। इस दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होगी। 30 सितंबर- द्वितीया - दूसरा दिन। इस दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। 1 अक्टूबर- तृतीया - तीसरा दिन। इस दिन दुर्गा जी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी। 2 अक्टूबर- चतुर्थी - चौथा दिन। माता दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा-अर्चना होगी। 3 अक्टूबर- पंचमी - पांचवां दिन- इस दिन मां भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। 4 अक्टूबर- षष्ठी- छठा दि...

Day and night will be equal on 23 rd sep. 23 सितंबर को दिन-रात बराबर होंगे

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23 सितंबर को दिन-रात बराबर होंगे 23 सितंबर सोमवार बारह घंटे का दिन और बारह घंटे की रात होगी। सूर्योदय और सूर्यास्त भी एक ही समय होगा । 23 सितम्बर को होने वाली खगोलीय घटना में सूर्य उत्तर गोलार्ध से दक्षिण गोलार्ध में प्रवेश के साथ उसकी किरणे तिरछी होने के कारण उत्तरी गोलार्ध में मौसम में सर्दभरी रातें महसूस होने लगती है। सूर्य के उत्तरी गोलार्ध पर विषवत रेखा पर होने के कारण ही 23 सितंबर को दिन व रात बराबर होते है। खगोलीय घटना के बाद दक्षिण गोलार्ध में सूर्य प्रवेश कर जाएगा और उत्तरी गोलार्ध में धीरे-धीरे रातें बडी़ होने लगेंगी। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की पृथ्वी के मौसम परिवर्तन के लिए वर्ष में चार बार 21 मार्च, 21 जून, 23 सितम्बर व 22 दिसम्बर को होने वाली खगोलीय घटना आम आदमी के जीवन को प्रभावित करती है। ऐसा खगोल वैज्ञानिकों का मत है। सूर्य सायन तुला राशि में पहुँचते ही दक्षिणी ध्रुव पर दिन आरंभ हो जाता है। आगामी 6 माह तक दिन बना रहता है तथा उत्तरी ध्रुव पर सूर्यास्त के साथ रात्रि प्रारंभ हो जाती है।  इसी दौरान कर्क रेखा तथा मकर रेखा के मध्य पृथ्वी के विषुव...

Sarv pitra amavas 20 वर्षो बाद सर्वपितृ अमावस्या व शनि अमावस्या का महासयोंग

20 वर्षो  बाद सर्वपितृ अमावस्या व शनि अमावस्या का महासयोंग इस साल पितृपक्ष अमावस्या 28 सितंबर शनिवार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के दिन है। खास बात यह है कि दो दशक के बाद सर्व मोक्ष अमावस्या 28 सितंबर शनिवार को है। इस दिन का श्राद्धकर्म अनंत फलदायक होता है।  इसकी सबसे बड़ी वजह है पितृ पक्ष में इस अमावस्या का होना। सर्वपितृ अमावस्या के दिन ही शनि अमावस्या का महासंयोग बन रहा है जो कि बहुत ही सौभाग्यशाली है। इसी के साथ 28 सितंबर को गोचर में पंचग्रही योग बन रहा है। इस दिन कन्या राशि मे चंद्र ग्रह, मंगल, बुध, शुक्र व सूर्य ग्रह उपस्थित रहेंगे जो फलदायी होंगें। हालांकि विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कहा जाता है कि जिस तिथि को दिवंगत आत्मा संसार से गमन करके गई थी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की उसी तिथि को पितृ शांति के लिये श्राद्ध कर्म किया जाता है। लेकिन समय के साथ कभी-कभी जाने-अंजाने हम उन तिथियों को भूल जाते हैं जिन तिथियों को हमारे प्रियजन हमें छोड़ कर चले जाते हैं।  इसलिये अपने पितरों का अलग-अलग श्राद्ध करने की बजाय सभी पितरों के लिये एक ही दिन श्राद्ध करने का विधान बताया गया। ...